अाग से बचाव को ले अस्पताल में कर्मियों को दी गयी ट्रेनिंग
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दुखद. ओपीडी में 33 में से 13 व इंडोर में 117 में मात्र 46 प्रकार की दवा उपलब्ध
अाग से बचाव को ले अस्पताल में कर्मियों को दी गयी ट्रेनिंग लग जाये आग तो दीवार के सहारे निकलें बाहर : देवकी पासवान लखीसराय : बुधवार को सदर अस्पताल के परिसर में अग्नि शमन पदाधिकारी देवकी पासवान ने कर्मी, चिकित्सक व आम जनता को आग लगने पर बचाव, आग नहीं लगे उसका उपाय को […]
लग जाये आग तो दीवार के सहारे निकलें बाहर : देवकी पासवान
लखीसराय : बुधवार को सदर अस्पताल के परिसर में अग्नि शमन पदाधिकारी देवकी पासवान ने कर्मी, चिकित्सक व आम जनता को आग लगने पर बचाव, आग नहीं लगे उसका उपाय को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण में देवकी पासवान ने बताया कि अगर आग लग जाय तो उसका बचाव के लिये दीवार के सहारे निकलना चाहिए. कंबल शरीर में लपेट कर जमीन के सहारे निकलना चाहिए. तौलिया, रूमाल को पूर्ण रूपेण पानी से गीला कर मुंह में लपेट कर निकलना चाहिए.
आग नहीं लगे इस पर विस्तारपूर्वक जानकारी देकर दर्जनों गुर बताये. प्रशिक्षण में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ मुकेश कुमार, डाॅ एके भारती, डाॅ विभीषण कुमार सहित सभी कर्मी व चिकित्सक उपस्थित थे. बताते चलें कि मंगलवार को प्रभात खबर में सदर अस्पताल में आग लगने की स्थिति में होगी भारी क्षति शीर्षक से प्रकाशित होने पर अग्नि शमन पदाधिकारियों में हलचल हुई. परिणामस्वरूप बुधवार को चिकित्सक व कर्मी को प्रशिक्षण दिया गया.
तपिश बढ़ने के साथ ही लूज मोशन,(दस्त), डिसेंट्री (पेचिश), डायरिया व सन एक्जॉस्ट की शिकायतें बढ़ गयी है. ऐसे में सरकारी अस्पतालों की जिम्मेवारी भी बढ़ना स्वभाविक है. लेकिन, अस्पतालों में दवा का अभाव हो तो बीमारियों का इलाज बेमानी ही होगा.
लखीसराय : सरकारी अस्पतालों की हालात यह है कि यहां इक्का-दुक्का जरूरी दवाओं को छोड़ कर मौसमी बीमारियों से निबटने के लिए भी पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध नहीं है. प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल में आने वाली मरीजों की सिजेरियन की नौबत आने पर अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
मरीजों के परिजनों को दवाएं बाहर से खरीदनी होती है जिसमें दो से तीन हजार रुपया तक खर्च हो जाता है. सदर अस्पताल लखीसराय के उपाधीक्षक डॉ मुकेश कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव व तपिश बढ़ने से लूज मोशन, डिसेंट्री, डायरिया व सन एक्जॉस्ट के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. डॉ कुमार के मुताबिक अस्पताल में जरूरत के मुताबिक अधिकतर दवा उपलब्ध है. डिसेंट्री, डायरिया, सन एक्जॉस्ट की दवा उपलब्ध है.
दवा की कमी से जूझ रहा सदर अस्पताल
इस बाबत अस्पताल प्रबंधक नंदकिशोर भारती के मुताबिक सदर अस्पताल में ओपीडी में 33 तरह की दवा होनी चाहिए लेकिन अभी केवल 13 तरह की दवा उपलब्ध है. वहीं इंडोर में कुल 117 तरह की दवा होनी चाहिए जिसमें से मात्र 46 तरह की दवा उपलब्ध है. सदर अस्पताल में लूज मोशन, ओआरएस पाउडर, विटामिन, कैलशियम आदि दवा की कमी है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की भी स्थिति बदतर
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी स्थिति बदतर है. हलसी पीएचसी प्रभारी डॉ पीसी वर्मा के मुताबिक वहां ओपीडी में 33 में से 20 दवा व इंडोर में कुल 117 में से 60 तरह की दवा उपलब्ध है. पीएचसी प्रभारी के मुताबिक जरूरी दवा उपलब्ध है. शेष दवाओं के लिए लिखा गया है. वहीं सूर्यगढ़ा पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सत्येंद्र कुमार ने बताया कि ओपीडी में फिलहाल 14 तरह की दवा है जबकि इंडोर में लगभग 50 तरह की दवा उपलब्ध है. कई जरूरी का टेबलेट उपलब्ध है जबकि लिक्विड की अनुपलब्धता है.
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