महामारी की आशंका से सहमे लोग
जलस्तर गिरा . जहां-तहां दिख रहे मवेशियों के शव, हटाने की व्यवस्था नहीं बाढ़ग्रस्त इलाकों का जलस्तर गिरने के साथ ही विभिन्न इलाकों में बाढ़ की चपेट में आकर मरनेवाले जानवरों के कई शव दिखने लगे हैं. इसे महामारी फैलने के खतरनाक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. प्रशासनिक स्तर से मवेशियों के […]
जलस्तर गिरा . जहां-तहां दिख रहे मवेशियों के शव, हटाने की व्यवस्था नहीं
बाढ़ग्रस्त इलाकों का जलस्तर गिरने के साथ ही विभिन्न इलाकों में बाढ़ की चपेट में आकर मरनेवाले जानवरों के कई शव दिखने लगे हैं. इसे महामारी फैलने के खतरनाक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. प्रशासनिक स्तर से मवेशियों के शव को हटाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.
लखीसराय : जिले में लगभग एक पखवारे से आयी प्रलयंकारी बाढ़ के पानी में अब धीरे-धीरे गिरावट जारी है. इसके साथ जलमग्न इलाकों में किऊल, हरूहर, गंगा व अन्य खेत खलिहानों व जलाशयों में जानवरों के मृत शव पानी का जलस्तर घटते ही चारों ओर सड़ांध बदबू देने लगे हैं. बावजूद इन लावारिस बाढ़ में मरे पशुओं के शव को अन्यत्र स्थानों पर हटाने के लिए प्रशासनिक बंदोबस्त नदारद हैं.
इसके अलावे टाल व दियारा इलाकों में खासकर चापाकल में हैलोजेन के टेबलेट्स जिंक व ओआरएस पाउडर, ब्लीचिंग पाउडर, केरोसिन, गैमेक्शिन व चूना आदि छिड़काव करवाने के कोई प्रबंध नहीं किये जाने से बाढ़ का पानी घटते ही इन इलाकों में भयंकर संक्रमण फैलने के आसार दिखने लगे हैं. पूरे बाढ़ अवधि में जिला पशुपालन पदाधिकारी द्वारा जिला प्रशासन को किसी प्रकार के जानवरों की मौत नहीं होने के झूठे दावे करते रहे लेकिन जलस्तर का घटते ही इनके सारे दावे पूर्णत: झूठ का पुलिंदा साबित हुआ. इस दौरान किऊल नदी में लगभग एक दर्जन जानवरों के शव फिलहाल पानी में पड़े हैं.
जिस पर कुत्तों की पौ-बारह कायम है. इस दौरान जिला प्रशासन की ओर से जिला मोबाइल मेडिकल टीम को भी बाढ़ ग्रस्त इलाकों में राहत व बचाव कार्य संचालन के लिए समुचित तरीके का मोटरवोट तक मुहैया नहीं करवाया गया. फलत: सैलाब के बीच त्राहिमाम की जिंदगी से जूझते बाढ़ पीड़ितों के समक्ष स्वस्थ व गैर प्रदूषित सामुदायिक वातावरण में जीवन यापन कड़ी चुनौती बनी है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
जिला आपदा पदाधिकारी मंजु प्रसाद ने कहा कि महामारी की रोकथाम के लिए भी हरसंभव प्रशासनिक पहल किये जायेंगे. इस दौरान इन इलाकों में पीएचइडी विभाग की ओर से पीने के लिए शुद्ध पानी की कोई बंदोबस्त नहीं किये गये हैं. इससे इस इलाके में डायरिया के प्रकोप की संभावना सताने लगी है.