मंत्रोच्चार के बीच हुई कूष्मांडा की पूजा
सप्तशती के मंत्रों से गूंज रहा इलाका सूर्यगढ़ा : दशहरा मेला का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. इस वर्ष नवरात्र 10 दिनों का होने की वजह से शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन बुधवार को स्थानीय बाजार सहित ग्रामीण इलाकों में देवी के चौथे स्वरूप कुष्माण्डा दुर्गा की पूजा अर्चना वैदिक मंत्रोच्चार के बीच की […]
सप्तशती के मंत्रों से गूंज रहा इलाका
सूर्यगढ़ा : दशहरा मेला का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. इस वर्ष नवरात्र 10 दिनों का होने की वजह से शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन बुधवार को स्थानीय बाजार सहित ग्रामीण इलाकों में देवी के चौथे स्वरूप कुष्माण्डा दुर्गा की पूजा अर्चना वैदिक मंत्रोच्चार के बीच की गयी. सुबह से ही इलाका भक्ति गीतों के साथ मां की आरती व घंटा गूंजता रहा. देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रही. शाम को भी आरती में शामिल होकर श्रद्धालुओं ने आस्था के संगम में डुबकी लगायी.
देवीमय हुआ माहौल
नवरात्र शुरू होने के बाद से ही शहर एवं ग्रामीण इलाकों का माहौल देवीमय हो गया है. घरों एवं पूजा पंडाल में मां का जयकारा गूंजता रहा. इधर दशहरा मेला की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है लोगों का उल्लास बढ़ता जा रहा है. सार्वजनिक पूजा स्थलों पर पंडाल को अंतिम रूप दिया जा चुका है. सजावट का कार्य भी अंतिम चरण में है. सप्तशती से देवी प्रतिमाओं का पट श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन के लिए खुल जायेंगे. ऐसे में आयोजक के पास समय कम है. लगभग सभी जगह तैयारियां पूरी हो चुकी है. पंडाल व प्रतिमाओं का ढांचा तैयार है. अब फाइनल टच देने की बारी है.
भवसागर से पार उतारती है माता कूष्माण्डा : ज्योतिषाचार्य उमाशंकर व्यास जी ने बताया कि हलकी हंसी से ब्रह्मड को उत्पन्न करने के कारण माता का नाम कूष्माण्डा पड़ा था. कहा जाता है कि माता कुष्माण्डा की उपासना मनुष्य को स्वाभाविक रूप से भवसागर से पार उतारने के लिए सुगम व श्रेयस्कर मार्ग है. माता कुष्माण्डा की उपासना मनुष्य को व्याधियों से विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि व उन्नति की ओर ले जाती है.