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अधिवक्ता की आपत्ति पर जेल जाने से बचा युवक

पूछताछ व प्राथमिकी और मूल केस डायरी का किया अवलोकन सात वर्ष की हो सकती है सजा सीआरपीसी की धारा 41(1)(2)का अनुपालन अनुसंधानकर्ता को करना अनिवार्य है इसका पालन नहीं किया गया था इस पर रिमांड करने में रिमांड अधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज किया लखीसराय : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के फ्रंट कार्यालय में प्रति […]

पूछताछ व प्राथमिकी और मूल केस डायरी का किया अवलोकन

सात वर्ष की हो सकती है सजा
सीआरपीसी की धारा 41(1)(2)का अनुपालन अनुसंधानकर्ता को करना अनिवार्य है
इसका पालन नहीं किया गया था
इस पर रिमांड करने में रिमांड अधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज किया
लखीसराय : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के फ्रंट कार्यालय में प्रति नियुक्त रिमांड अधिवक्ता के आपत्ति पर 29 वर्ष का युवक जेल जाने से बच गया. इस संबंध में रिमांड अधिवक्ता रजनीश कुमार ने बताया कि सोमवार को सूर्यगढ़ा प्रखंड के मानिकपुर थाना कांड संख्या 263 /16 का नामजद अभियुक्त अभिमन्यु कुमार को मानिकपुर थाना पुलिस ने भादवि की धारा 323, 379, 427, 504 व 354 के आरोप में उसके घर से गिरफ्तार किया और शाम में आरोपी अभियुक्त को सीजेएम न्यायालय लखीसराय में पेश किया. न्यायालय से उसे जिला विधिक सेवा प्राधिकार लखीसराय के फ्रंट कार्यालय में रिमांड अधिवक्ता का मंतव्य हेतु भेजा गया.
रिमांड अधिवक्ता श्री कुमार ने हिरासती बंदी से पूछताछ व प्राथमिकी और मूल केस डायरी का अवलोकन करने के बाद पाया कि आरोपी पर लगाये गये सभी धाराओं मे अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है. जिसमें सीआरपीसी की धारा 41(1)(2)का अनुपालन अनुसंधानकर्ता को करना अनिवार्य है. जिसका पालन नहीं किया गया था जिस पर रिमांड करने में रिमांड अधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज किया. जिसके बाद न्यायालय ने अभियुक्त को रिमांड करने से इंकार कर दिया. पुलिस को अपनी गलती का अहसास होते ही अभियुक्त को देर रात अपने हिरासत से मुक्त कर दिया और अभियुक्त जेल जाने से बच गया.

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