जिले में कुल 912 टीबी मरीजों का चल रहा है इलाज

टीबी एक संक्रमण बीमारी तो है ही, पर इसका इलाज अगर समय पर किया जाय, तो मरीज फिर से अपनी नयी जिंदगी जी सकता है

By Prabhat Khabar News Desk | September 30, 2024 8:49 PM

लखीसराय. टीबी एक संक्रमण बीमारी तो है ही, पर इसका इलाज अगर समय पर किया जाय, तो मरीज फिर से अपनी नयी जिंदगी जी सकता है, यानि कि वह फिर से अपनी पुरानी दिनचर्या में जीवन जी सकता है. ये कहना है जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ श्रीनिवास शर्मा का. वो कहते हैं इस बीमारी से बचाव एवं स्थायी निजात के लिए समय पर जांच एवं समुचित इलाज कराना बहुत जरूरी है. इसलिए लक्षण दिखते ही तुरंत ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और जांच करायें. जांचोपरांत चिकित्सा परामर्श का पालन जरूर करें, ताकि संक्रमित इस बीमारी से पूरी तरह से छुटकारा पा सकें.

24 एमडीआर टीबी के हैं मरीज

सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा ने कहा कि इस वर्ष अभी तक कुल 912 टीबी मरीज का इलाज सरकारी स्वास्थ्य संस्थान द्वारा निःशुल्क किया जा रहा है. इनमें कुल 24 एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) के मरीज हैं. डॉ सिन्हा ने बताया कि मल्टी ड्रग रेजिसटेंट (एमडीआर) टीबी के इलाज को आसान बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाया गया है. पहले एमडीआर टीबी से पीड़ित मरीजों को 24 महीने तक दवा खानी पड़ती थी, पर अब ऐसे मरीजों को शॉर्ट टर्म में सिर्फ 9 से 11 एवं लॉन्ग टर्म में 18 से 20 महीने तक ही दवा खानी पड़ती है. इसके लिए सरकार द्वारा बीडाकुलीन नामक दवा की शुरुआत की गयी है, जो सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में ही मिलती है.

टीबी से बचाव के ये हैं उपाय

दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर चिकित्सक को दिखायें, दवा का पूरा कोर्स लें, चिकित्सक से बिना पूछे दवा बंद न करें.

मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर या नैपकिन से कवर करें.

मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें, यहां-वहां नहीं थूकें.

पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें.

बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें.

भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें.

ये हैं टीबी के लक्षण

भूख न लगना, कम लगना व वजन अचानक कम हो जाना. बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना.

हलका बुखार रहना.

खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना, कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना.

गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना.

गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि.

पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं.

टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है.

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