लखीसराय. स्थानीय भवन में साप्ताहिक आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम का शुक्रवार को समापन हो गया. स्वामी परमतेज जी महाराज ने शुक्रवार को अंतिम दिन यौगिक क्रिया का अभ्यास कराया. यह मनुष्य के जीवन में खुश और स्वास्थ्य रहने की क्रिया है. इससे पहले डीडीसी डॉ कुंदन कुमार, डॉ प्रवीण कुमार सिन्हा एवं पूर्व मैनेजर सीताराम सिंह ने संयुक्त रूप से आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर जी महाराज की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. शुक्रवार को स्वामी गुरु परमतेज जी महाराज ने यौगिक एवं सुदर्शन क्रिया से मनुष्य को खुश और स्वास्थ्य रहने की विधि बतायी. उन्होंने कहा कि यौगिक क्रिया स्वास्थ्य रहने की क्रिया है, जबकि सुदर्शन क्रिया खुश और आनंदित रहने की क्रिया है. सु का अर्थ होता है सुंदर तथा दर्शन का अर्थ है देखना. क्रिया का अर्थ है एक अच्छा काम, अर्थात अपने को अच्छी तरह देखने का काम ही सुदर्शन क्रिया है. आर्ट ऑफ लिविंग के जरिये नैतिक, बौद्धिक, मानसिक रूप से स्वास्थ्य एवं ऊर्जावान रहने की क्रिया की जानकारी दी गयी, इसे नियमित करनी चाहिए. सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ लिविंग का बेसिक कोर्स और सबसे महत्वपूर्ण एवं अभिन्न हिस्सा है. सांस लेने की विशेष व क्रमबद्ध तकनीकी से शरीर ऊर्जान्वित होता है, स्वामी परमतेज जी ने कहा कि सुदर्शन क्रिया एक अद्भुत लय युक्त श्वासन प्रक्रिया है. आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रम के समापन सत्र में सो हम की ध्वनि से श्वांस नियंत्रित करने की विधि की जानकारी दी गयी. सो का अर्थ है सांस अंदर लेना और हम यानि सांस बाहर छोड़ना है. इसकी पूरी प्रक्रिया में सुदर्शन क्रिया है. यह आर्ट ऑफ लिविंग का एक पार्ट मात्र है, समापन सत्र में वार्ड पार्षद गौतम कुमार, डीएलपी क्लब के धनंजय विभोर सहित दर्जनों लोग शामिल हुए.
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