धनुष अहंकार का प्रतीक, जिसे प्रभु श्रीराम ने तोड़ा : संत

नव दिवसीय श्रीमद् वाल्मीकि रामायण कथा के छठे दिवस श्रीराम विवाह का हुआ आयोजन

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2024 11:23 PM

लखीसराय. जीव जब तक अहंकार युक्त रहता है तब तक वह भक्ति से रहित हो भगवत प्राप्ति से दूर रहता है पर जब वह अहंकार रहित हो विनम्र बन जाता है झुक जाता है तो भक्ति की प्राप्ति होती है. उक्त बातें लखीसराय केआरके मैदान में चल रहे नव दिवसीय श्रीमद् वाल्मीकि रामायण कथा के छठे दिवस श्रीराम विवाह पर भी सात चर्चा करते हुए अयोध्या से आये ख्याति प्राप्त संत आशीष कुमार बापू ने कही. उन्होंने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है, जिसे भगवान श्रीराम ने तोड़ा और तोड़ने के उपरांत में जब खड़े थे, मां जानकी उनके गले में माला पहनने के लिए आयी, पर माला पहना नहीं रही थी, क्योंकि श्रीराम अकड़ कर खड़े थे, तब जानकी की सखियों ने भगवान श्रीराम से निवेदन किया है की हे राघव आप जब तक आप झुकोगे नहीं तब तक हमारे श्री किशोरी जी आपके गले में माला नहीं डालेंगे और तब भगवान श्रीराम ने गुरुदेव विश्वामित्र जी महाराज के चरण को पकड़ने के लिए अपना सिर झुकाया और इस समय मौका देखकर मां जानकी ने उनके गले में माला डाल दिया. माला डालने के उपरांत परशुराम जी महाराज आये लक्ष्मण से विवाद हुआ और बाद में भगवान श्रीराम को ब्रह्म के रूप में पहचान कर अपना धनुष समर्पित कर महिंद्रा चल पर्वत पर चले गये. उसके उपरांत जनक जी महाराज ने विश्वामित्र जी महाराज के आदेश से जनकपुर समाचार भेजो जनकपुर से बारात आयी और उसे बारात में भगवान श्रीराम दूल्हा बने और तब फिर चारों भाइयों का विवाह चारों दुल्हन के साथ में संपन्न हुआ. कार्यक्रम का संचालन श्री सीताराम सिंह ने की जबकि केदार प्रसाद, बिंदु देवी और किरण देवी ने व्यास पीठ का पूजन किया.

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