विज्ञान प्रदर्शनी में बच्चों ने विभिन्न प्रकार के मॉडल किये प्रस्तुत

शहर के प्राचीनतम बालिका विद्यापीठ स्कूल के प्रांगण में गुरुवार को बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के उद्देश्य से विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | December 20, 2024 6:28 PM

वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए ‘करके सीखो’ नीति के तहत लगायी प्रदर्शनी

लखीसराय. शहर के प्राचीनतम बालिका विद्यापीठ स्कूल के प्रांगण में गुरुवार को बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के उद्देश्य से विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. जिसमें वर्ग छह से 12 तक के बच्चों ने अपने अपने मॉडल प्रदर्शित कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया. विद्यालय की प्राचार्य कविता सिंह एवं विज्ञान के शिक्षक गणेश कुमार, पवन कुमार, अनुभव कुमार, मनीष कुमार, नवनीत कुमार, अंजनी कौशिक, कीर्ति कुमारी एवं ज्योति कुमारी के निरीक्षण में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन कला एवं संस्कृति पदाधिकारी मृणाल रंजन एवं प्राचार्य कविता सिंह के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया. इस संबंध में विद्यालय की प्राचार्य श्रीमति सिंह ने बताया कि इस विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन सीबीएसई के बच्चों में वैज्ञानिक सोंच विकसित करने के लिए ‘करके सीखो’ नीति पर किया गया. बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने और उनका विज्ञान के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि इस प्रदर्शनी में कक्षा छह से 12 के छात्र-छात्राओं ने एचआईवी एड्स, दबाव, ऊर्जा संरक्षण, दुर्घटना से बचाव, भूकंप आने के कारण, जल चक्र, ज्वालामुखी, सौर ऊर्जा, कार्बन शोधक, स्मार्ट विद्युत पोल निगरानी प्रणाली, ड्रिप सिंचाई, ओजोन रिक्तिकरण, प्रदूषण से बचाव, सौर मंडल, पवन चक्की, यातायात नियम एवं विनियम आदि कई मॉडल प्रदर्शित किया और उनके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी. स्कूल के इन बाल वैज्ञानिकों ने अपने मॉडल से यह दिखाने का प्रयास किया कि आने वाला कल उनका है और वे अपनी नयी वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़कर देश को नयी ऊंचाइयों तक ले जायेंगे. विज्ञान प्रदर्शनी में कक्षा दस से त्रयंबक, तनुषा, काव्या, कक्षा नौ से रोहणी, आकृति, गीतांजली, प्रभा, शगुन, ऋषिका, आरोही, राम अभिषेक, दिलशान, कक्षा आठ से देवकीनंदन, विकास, कक्षा सात से जय सिंह, आदर्श, मणिदीप, शुभंकर, आयुष, कक्षा छह से ऋषभ राज आदि छात्र-छात्राओं ने अपने स्थैनिक एवं संजीव गतिक मॉडल प्रदर्शित कर सभी को प्रभावित किया. कार्यक्रम को अनुशासित एवं सफल बनाने में सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का योगदान रहा.

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