लखीसराय. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा जब अपने श्वेत प्रकाश से पृथ्वी पर अमृत बरसा रहा था और हल्की-हल्की ठंडी हवा मन और मस्तिष्क को शीतल कर रही थी, उसी समय भारतीय शास्त्रीय संगीत के मधुर स्वर से लाली पहाड़ी का पूरा क्षेत्र गूंज रहा था. अवसर था बिहार कला दिवस की पूर्व संध्या पर जिला प्रशासन की ओर से गुरुवार को आयोजित लाली पहाड़ी पर शास्त्रीय संगीत कला कार्यक्रम का. डीएम मिथिलेश मिश्र, एडीएम सुधांशु शेखर, एएसपी अभियान मोतीलाल, संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ सुधीर कुमार यादव, जिला खेल पदाधिकारी मृणाल रंजन एवं विश्व भारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रो अनिल कुमार ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया. कार्यक्रम में देश के ख्याति प्राप्त शास्त्रीय गायक पंडित कुमार मर्दुर के मधुर गायन से बौद्ध सर्किट संगीतमय हो उठा. इस अवसर पर नाथ पब्लिक स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गान की प्रस्तुति दी. बच्चों ने डीएम को खुद से बनाये दो स्केच भेंट की. मौके पर डीएम ने कहा कि लाली पहाड़ी ऐतिहासिक पुरातत्व का साधना केंद्र रहा है. यहां महात्मा गौतम बुद्ध भी पधारे हैं. यहां की खुदाई में बौद्धकाल के ढेर सारे अवशेष मिले हैं. यहां श्रीमद् धम्म के अवशेष भी मिले है. इसलिए हमलोग इसे धम्म विहार की धरती भी कह सकते हैं. इसके महत्व को शृंखलाबद्ध तरीके से राष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने एवं पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास करेंगे. पूर्व के डीएम के प्रति उन्होंने आभार जताया. उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत कला साधना का मूल अंग है. हर वर्ष इस दिन यहां कार्यक्रम की भव्यता देखी जायेगी. इस अवसर पर डॉ ओमप्रकाश, विद्या सागर, बिंदु कुमारी, पूर्व मुखिया मो इरफान, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र आर्य, आर्य, सचिव रंजन कुमार, सुनील शर्मा, अमरजीत कुमार, अनय कुमार, पिंटू कुमार, विनय साह सहित जिले के सभी सरकारी एवं निजी विद्यालय के संगीत शिक्षक एवं सोशल मीडिया वर्कर मौजूद थे.
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