माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने की मांग
मालाकार कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष उमेश मालाकार की देखरेख में भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की 194वीं जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी.
भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की मनायी गयी जयंती
चानन. प्रखंड के इटौन गांव में शुक्रवार को मालाकार कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष उमेश मालाकार की देखरेख में भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की 194वीं जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी. कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि व समिति के अध्यक्ष राधे मालाकार व प्रेम प्रकाश मालाकार के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं के द्वारा माता सावित्री बाई फुले के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धा निवेदित की गयी. मौके पर वक्ताओं ने माता सावित्री बाई फुले के आदर्शों को याद कर उनके पदचिन्हों पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया. वक्ताओं ने माता सावित्री बाई फुले के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माता सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षक, कवयित्री व समाज सेविका थी. जिनका लक्ष्य बालिकाओं को शिक्षित करना रहा. सावित्रीबाई फुले का जन्म तीन जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के एक सैनी परिवार में हुआ था. मात्र नौ साल की आयु में उनकी शादी क्रांतिकारी महात्मा ज्योतिबा फुले से हुई थी. उस वक्त ज्योतिबा फुले मात्र 13 साल के थे. माता सावित्रीबाई फुले को बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का बड़ा विरोध झेलना पड़ा था. 18 वीं सदी की बात करें तो उस समय महिलाओं का स्कूल जाना भी पाप समझा जाता था. ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया, वह कोई साधारण उपलब्धि नहीं थी. उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 1848 में बालिकाओं के लिए प्रथम विद्यालय की स्थापना की. मालाकार कल्याण समिति ने ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने की भी मांग की. मौके पर राहुल मालाकार, दयानंद मालाकार, देवेंद्र मालाकार, उपेंद्र मालाकार, बच्चू मालाकार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है