बुधवार को खुलेगा शहर के दुर्गा मंदिरों का पट्ट
किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट स्थित इस बार षष्टी नहीं बल्कि सप्तमी की शाम को मां दुर्गा मंदिर का पट्ट खोला जायेगा.
लखीसराय. किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट स्थित इस बार षष्टी नहीं बल्कि सप्तमी की शाम को मां दुर्गा मंदिर का पट्ट खोला जायेगा. प्रत्येक साल किऊल रेलवे इंस्टिट्यूट के मां के मंदिर का पट्ट षष्टी की शाम को खुलते आया है, लेकिन इस बार समय के हेरफेर के कारण सप्तमी की शाम को पट्ट खोला जायेगा व पूजा-अर्चना की जायेगी. बंगाली पद्धति के अनुसार सप्तमी से खिचड़ी का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाया जाता है. वहीं शाम को पूड़ी, भाजा का भोग लगाया जाता है. यह क्रम सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी को चलता है. वहीं दशमी के दिन चूड़ा, दही, केला व पेड़ा का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाया जाता है. अष्टमी के दिन बंगाल में होने वाली मां को पुष्पांजलि की परंपरा किऊल दुर्गा मंदिर में करायी जाती है. सप्तमी को किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट स्थित मां दुर्गा मंदिर के अलावा विद्यापीठ चौक के महावीर दुर्गा मंदिर, नगर परिषद के छोटी दुर्गा स्थान के साथ साथ बड़ी दुर्गा स्थान, पचना रोड स्थित भारत माता का भी पट्ट खोल दिया जायेगा.
बेलभरनी पर शाम की पूजा से पहले बेल को दिया निमंत्रण
लखीसराय. नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी माता की पूजा-अर्चना के साथ सातवें दिन कालरात्रि पूजा सह बेलभरनी के लिए पूजा पंडाल समिति द्वारा मंगलवार को बेल पेड़ को निमंत्रण दिया गया. ज्ञात हो मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि माता की पूजा के साथ आम श्रद्धालुओं के लिए मां का पट खोल दिया जाता है. इसके पूर्व सातवीं पूजा के संध्या के एक दिन पूर्व बेल पेड़ को विधि पूर्वक पूजन कर निमंत्रित किया जाता है कि सातवें पूजा के दिन आपके जुड़वा फल बेल को माता के पूजा अर्चना में लगाया जायेगा. इसी क्रम में मंगलवार को स्थानीय पुरानी बाजार अभिमन्यु चौक स्थित स्थापित होने वाले भारत माता समिति के सदस्यों के द्वारा चितरंजन रोड खादी भंडार भवन स्थित बेल पेड़ में आचार्य हरिशंकर पंडित के नेतृत्व में यजमान महेश कुमार शर्मा ने विधि पूर्वक पूजा-अर्चना कर बेल पेड़ को निमंत्रित किया.
शक्ति,धन व विद्या का समन्वय प्रस्तुत करती है दुर्गा सप्तशती
लखीसराय. शारदीय नवरात्र शक्ति संचय का सबसे अच्छा अवसर है. इसमें नौ दिन तक शक्ति स्वरूपा देवी की आराधना से कायिक वाचिक व मानसिक शुद्धता होती है, साथ ही सांसारिक दुखों से भी त्राण मिलता है. शारदीय नवरात्र ग्रीष्म ऋतु एवं शरद ऋतु के मध्य का काल है जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी अहम है. उक्त बातें मंगलवार को बड़हिया मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर में कर्मकांड व ज्योतिष के जानकार संस्कृत शिक्षक पीयूष कुमार झा ने कही. उन्होंने कहा की वर्ष में वैसे तो चार नवरात्रि चैत्र, आषाढ़, आश्विन तथा माघ महीने के शुक्ल पक्ष में होती है, उनमें सर्वश्रेष्ठ आश्विन महीने की शारदीय नवरात्रि होती है. इस समय दुर्गा सप्तशती का पाठ कल्याणकारी होता है, दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं, जोकि तीन चरित्रों में विभक्त हैं. दुर्गा सप्तशती संगठन, विवेक व शौर्य तीनों के सम्मिलित रूप में जीवन में धारण करने की प्रेरणा देती है. शक्ति संचय के लिए शारदीय नवरात्रि उपयुक्त अवसर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है