स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यकुशलता ने बचायी जच्चा-बच्चा की जान

दुनिया की हर महिला का एक सपना होता है जब वो मां बने तो उसका बच्चा और वो दोनों ही स्वस्थ्य हो, ताकि उस मां को अपने मातृत्व का भरपूर सुख प्राप्त हो सके.

By Prabhat Khabar News Desk | July 31, 2024 6:41 PM

लखीसराय. दुनिया की हर महिला का एक सपना होता है जब वो मां बने तो उसका बच्चा और वो दोनों ही स्वस्थ्य हो, ताकि उस मां को अपने मातृत्व का भरपूर सुख प्राप्त हो सके. यही कामना सोमरी देवी की भी थी जो लखीसराय जिले के पतनेर गांव की निवासी है. सोमरी देवी कहती हैं जब उसकी शादी हुई थी तो वो बहुत खुश हुई की अब उसे भी मातृत्व सुख प्राप्त करने का अवसर मिलेगा. जब उसके मां बनने का समय आया तो उसने अपने गांव की आशा दीदी पप्पी कुमारी से पहला एएनसी जांच करवाया तो उसके शरीर में खून की मात्रा महज सात ग्राम ही थी. ये सुनकर सोमरी को बहुत बड़ा झटका लगा की क्या वो अपने बच्चे को इस दुनिया में नहीं देख पायेगी, क्या वो और उसका बच्चा साथ-साथ इस दुनिया को नहीं देख पायेगा. इस तरह के एनेकों सवाल के साथ सोमरी कुछ दवा का सेवन भी करने लगी और उसके मां बनने के सपने को हकीकत में बदला आशा पप्पी कुमारी ने.

शरीर में खून की मात्रा 7 से 8 ग्राम होने के बावजूद बच्चे को दिया जन्म

पतनेर गांव की आशा पप्पी कुमारी कहती हैं कि जब सोमरी के शरीर में खून की मात्रा सात ग्राम पाया गया तो उसे पौष्टिक खाने के साथ कुछ दवाई लेने के लिए भी बताया गया. उसने इन सब नियमों का पालन भी किया पर फिर भी उसके शरीर में खून की मात्रा महज आठ ग्राम ही रहा, फिर भी मैंने उसे पौष्टिक खाने के साथ नियमित तौर पर दवा लेते रहने की सलाह दी जब तक वो मां नहीं बन जाती है. लगातार गृह-भ्रमण के दौरान उसकी जांच एवं जागरूक करती रही.

आशा पप्पी आगे कहती हैं जब सबरी को संस्थागत प्रसव के लिए सदर अस्पताल ले गयी तो वहां फिर सोमरी के शरीर में खून की मात्रा सात ग्राम ही था, पर सदर अस्पताल के एएनम एवं चिकित्सक की अच्छी कार्यकुशलता से सोमरी ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया है. आज जच्चा और बच्चा, दोनों ही स्वस्थ्य है

सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है पर्याप्त सुविधा

सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा बताते हैं कि सुरक्षित प्रसव के लिए जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी और सदर अस्पताल में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है. प्रसव के लिए आने वाली प्रसूता को बेहतर से बेहतर सुविधा मिले, इस बात का विशेष ख्याल भी रखा जाता है. इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है. इसके लिए स्वास्थ विभाग से जुड़ी एएनएम और आशा अपने-अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करती हैं.

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