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पोषण पुनर्वास केंद्र को व्यवस्थित करने पर दिया गया जोर

सिविल सर्जन विनोद प्रसाद सिन्हा की अध्यक्षता में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालन से जुड़ी अंतर विभागीय समन्वय समिति की बैठक हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | October 29, 2024 7:12 PM

लखीसराय. सदर अस्पताल सभागार में मंगलवार को सिविल सर्जन विनोद प्रसाद सिन्हा की अध्यक्षता में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालन से जुड़ी अंतर विभागीय समन्वय समिति की बैठक हुई. इसमें मुख्य रूप से केंद्र संचालन को सुव्यवस्थित करने को लेकर जोर दिया गया. सीएस द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र में अधिक से अधिक अतिकूपोषित बच्चों को भर्ती कराने पर जोर डाला गया. उनके द्वारा बताया गया कि वित्तीय वर्ष 24-25 में लखीसराय जिला पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों की भर्ती कराने में दूसरे स्थान पर है. जिसे और एग्रेसिव करने की जरूरत है. डीपीएम सुधांशु नारायण लाल एवं डीपीसी सुनील कुमार द्वारा पॉवर प्वाइंट प्रेजंटेशन के माध्यम से बच्चों के भर्ती कराने के मापदंड, प्रोत्साहन राशि, बच्चों को दिये जा रहे फीड के संबंध में विस्तार से बताया गया. इन लोगों के अनुसार एनआरसी एक स्वास्थ्य सुविधा है, जहां गंभीर तीव्र कुपोषण से ग्रस्त बच्चों का इलाज कर पोषण संबंधी देखभाल की जाती है. बच्चों की देखभाल, आहार प्रथाओं में सुधार लाने का कार्य किया जाता है. निर्धारित प्रवेश मानदंडों के मुताबिक भर्ती लेकर आहार विशेषज्ञ द्वारा तैयार की गयी डाइट दी जाती है. यह डाइट चार्ट सप्ताह के सातों दिनों के लिए अलग-अलग बनाया जाता है. जबकि इनके साथ मां भी रहती हैं और उन्हें देखभाल करती है. बच्चों की छुट्टी के बाद, उनकी मां को एसएएम बच्चे की देखभाल कैसे करनी है, इस पर परामर्श सत्र में भाग लेने का मौका मिलता है. वैसे बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती लेना है, जो 6 महीने से कम उम्र का शिशु बहुत कमजोर हो या दूध ठीक से न पी पा रहा हो. 45 सेंटीमीटर से ज्यादा लंबाई के बच्चे का वजन लंबाई के मुताबिक न हो, गंभीर सूखापन हो या दोनों पैरों में सूजन हो. समीक्षात्मक बैठक में पाया गया कि 24-25 के अप्रैल 24 से सितंबर 2024 तक में स्वास्थ्य विभाग से कुल 104 एवं आईसीडीएस से 63 बच्चे इस प्रकार से कुल 167 बच्चों को भर्ती कराया गया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य विभाग से बड़हिया, लखीसराय सदर, चानन एवं पिपरिया से आईसीडीएस बड़हिया, रामगढ़ चौक, चानन एवं पिपरिया से बहुत कम बच्चों को रेफर कराया गया है.

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