लखीसराय. राज्य कमेटी के निर्देशानुसार अगस्त क्रांति के अवसर पर बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के स्थानीय इकाई ने जिला मंत्री राम स्वार्थ सिंह के नेतृत्व में शुक्रवार को 24 सूत्री मांग पत्र डीएम रजनीकांत को सौपा. जिसमें मुख्य रूप से राज्य कर्मचारी के सेवानिवृत होने के बाद रिक्त पद पर नियमित बहाली के बदले ठेका, संविदा, आउटसोर्सिंग पीपीपी मोड आधारित व्यवस्था लागू करने का विरोध किया है. जिला मंत्री ने बताया कि प्रतिमाह हजारों की संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत हो रहे हैं. उन पदों पर नियमित बहाली के बदले सरकार ठेका, संविदा, आउटसोर्सिंग एवं पीपीपी मोड आधारित व्यवस्था के तहत कर्मी को बहाल कर रहे हैं. यहां तक की कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र को निजी हाथों में सौंप देने के प्रयास हो रहे हैं. जबकि वैश्विक महामारी कोरोना ने यह साबित किया कि आमजन की वास्तविक रक्षा सुरक्षा सिर्फ सरकारी संस्थान ही कर सकते हैं. सितंबर 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारी पेंशन से वंचित हैं. पीएफआरडीए कानून के नुकसान को देखते हुए कुछ राज्यों की सरकारों ने अपने कर्मचारियों को नयी पेंशन योजना के बदले पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्रदान किया है. कुछ राज्य ने इसकी समीक्षा की बात कही है, किंतु बिहार राज्य की सरकार कर्मचारियों की पेंशन रुपी सामाजिक सुरक्षा की मांग को लगातार नजरअंदाज किया है. देश भर में कर्मचारी संगठन के द्वारा आठवां वेतन पुनरीक्षण समिति के गठन की मांग हो रही है. जबकि बिहार में अभी भी छठे वेतनमान की तमाम विसंगतियां को दूर किया जाना ही बाकी है. ऐसी परिस्थिति में कर्मचारी शिक्षकों के बीच सरकार के रवैया के प्रति भारी आक्रोश है. इन मामलों को लेकर महासंघ ने राज्य कार्यकारिणी के बैठक में अगस्त क्रांति नौ अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन आयोजित कर 24 सूत्री मांग रखने का निर्णय लिया था. जिसके तहत मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र डीएम को सौंपा गया.
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