बिचड़ा गिराने का समय हो रहा समाप्त, किसानों की बढ़ी चिंता
इस बार धान की खेती के अनुरूप बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. बारिश नहीं होने के कारण जिले में लक्ष्य की एक चौथाई भी बिचड़ा नहीं गिर पाया है.
लखीसराय. इस बार धान की खेती के अनुरूप बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. बारिश नहीं होने के कारण जिले में लक्ष्य की एक चौथाई भी बिचड़ा नहीं गिर पाया है. जिले के अधिकांश प्रखंड में धनहर खेती वाले क्षेत्र नहर, आहार एवं तालाब पर ही निर्भर करता है. नहर आहर में पानी तभी आ सकती है जब बारिश लगातार होती है, लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के कारण किसानों के द्वारा बिचड़ा नहीं गिराया जा रहा है. जिले के मुख्य रूप से चानन एवं हलसी प्रखंड में धान की खेती की जाती है. यह दोनों क्षेत्र पथरीला होने के कारण यहां बोरिंग नहीं हो पाती है. इससे दोनों क्षेत्रों में अधिकांश किसानों के खेतों की सिंचाई नहर एवं आहर पर ही निर्भर करता है. लेकिन बारिश नहीं होने से आहर और नहर सूखी पड़ी है. काफी कम संख्या में किसान बिचड़ा गिरा सके हैं. जो अल्प समय प्रभेद के तैयार होने वाली धान का बिचड़ा गिराने का समय अब समाप्त हो हो चुका है.
अल्प अवधि प्रभेद के तैयार होने वाला धान का बिचड़ा किसान नहीं गिरा पाया है. जबकि लंबी अवधि प्रभेद के तैयार होने वाला धान का बिचड़ा का समय भी समाप्त होने के कगार पर हैं. ऐसे में किसान बिना बारिश के अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं. धान का बिचड़ा विलंब से गिरने पर किसानों को अच्छी उपज नहीं मिल पाती है.लक्ष्य 4190 में मात्र जिले में अब तक 909 हेक्टेयर में ही गिराया गया है धान का बिचड़ा
किसानों के द्वारा पिछले साल के मुकाबले इस साल 25 जून तक आधा भी धान का बिचड़ा नहीं गिरा पाया है. पिछले साल जून माह तक लक्ष्य के 40 प्रतिशत बिचड़ा गिर गया था, लेकिन इस बार धान का बिचड़ा कम ही गिर पाया है. जिले में कुल 4190 हेक्टेयर में धान का बिछड़े गिराया जाना है, लेकिन अभी तक 09 सौ हेक्टेयर में ही धान का बिचड़ा गिर पाया है. जबकि चार हजार से अधिक हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराया जाना है. जून के प्रथम सप्ताह में मानसून प्रवेश करने वाली इस साल जल के अंतिम सप्ताह में भी बूंद बूंद पानी के लिए धरती तरस रही है. जिले में 41 हजार 902 हेक्टेयर में धान की खेती होनी है, लेकिन पानी की कमी होने के कारण बिचड़ा नहीं गिर पाने की वजह से लक्ष्य तक पहुंच पायेगा या नहीं यह कहना मुश्किल हो रहा है.बोले वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक सुधीर चंद्र ने कहा कि जिले में बारिश नहीं होना चिंता का विषय बना हुआ है. उन्होंने कहा कि लंबी अवधि प्रभेद के का ही बिचड़ा वर्तमान में गिराया जा सकता है. किसान धान का बिचड़ा जून के अंतिम माह तक गिरा सकते हैं. एक-दो दिन में अच्छी बारिश होने के बाद किसानों के द्वारा बिचड़ा गिराया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है