लखीसराय. किऊल व हरूहर नदी के साथ गंगा के जलस्तर बढ़ने से दियारा क्षेत्र के किसानों की धड़कनें तेज हो गयी है. किसानों को जलस्तर बढ़ने से उन्हें सबसे अधिक सोयाबीन की खेती को लेकर चिंता है. किसानों को नकद फसल सोयाबीन से काफी फायदा होता है. इस बार भी सैकड़ों एकड़ में किसानों ने खेती की है, जिससे कि लाखों की कमाई किसानों को हो जाती है. किसान द्वारा ऊंचे स्थान पर सोयाबीन की खेती की गयी है, जिससे कि अभी तक खेत में पानी प्रवेश नहीं कर सका है लेकिन जलस्तर बढ़ने का यही रफ्तार रहा तो दो-तीन दिनों में किसानों का सोयाबीन की खेती प्रभावित हो सकती है. पिछले कई दिन से लगातार बारिश होने के बाद किऊल नदी के साथ-साथ हरूहर नदी एवं गंगा की जल स्तर में बढ़ावा देखा जा रहा है, हालांकि किऊल नदी में पानी कंट्रोल के लिए जब से कुंदर बराज का निर्माण कराया गया है. तबसे किऊल नदी का में अचानक बाढ़ आना बंद हो चुका है लेकिन किऊल नदी एवं हरूहर नदी का संगम रामचंद्रपुर गांव के समीप होने से हरूहर नदी के जलस्तर बढ़ने के बाद किऊल नदी का भी जलस्तर बढ़ जाता है. लाल दियारा, पिपरिया, रामनगर, रहाटपुर, रामचंद्रपूर, मोहनपुर, वलीपुर समेत अन्य गांव का भौगोलिक स्थिति यह है कि यह सब गांव के उत्तरी भाग में गंगा बहती है तो दक्षिणी भाग में किऊल और हरूहर नदी का मिलन हो जाता है. यही कारण है कि बरसात के दिनों में किसानों की मुश्किलें बढ़ जाती है. दियारा क्षेत्र पिछले 10-15 सालों कृषि क्षेत्र में प्रगति किया है. इस क्षेत्र में मक्का गेहूं के अलावा नकद फसल हरी मिर्च, सोयाबीन, टमाटर, मक्का एवं हरी सब्जियां की खेती जमकर की जाती है. हालांकि किसानों के खेत बचाने के लिए दियारा क्षेत्र में तटबंध का भी निर्माण कराया गया है. भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किऊल एवं हरूहर नदी के पानी से बचने के लिए तटबंध का निर्माण कराया गया है. तटबंध का निरीक्षण बाढ़ नियंत्रण एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा जलस्तर बढ़ने के बाद लगातार निरीक्षण किया जा रहा है.
दियारा क्षेत्र में पशुपालक की बढ़ी संख्या, पशुओं से किसानों को होती है आमदनी
दियारा क्षेत्र में इन दिनों पशुपालकों की संख्या बढ़ी है. पशुओं से किसानों को अच्छा आमदनी हो जाता है. रामचंद्रपुर के प्रगतिशील किसान बमबम सिंह ने बताया कि दियारा क्षेत्र में पशुपालक की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. प्रत्येक किसान कम से कम दो गाय पाल रखे है, जबकि पांच से छह गाय एवं भैंस किसानों के द्वारा पाला जा रहा है. इसके लिए किसान दर्जनों एकड़ में चारा (नरकटिया, घास, कुरथी) की बुआई करते हैं लेकिन नदी एवं गंगा के जलस्तर बढ़ने से चारा पानी में डूब जाता है. किसान पानी में प्रवेश कर किसी तरह चारा को काटकर अपने घर ला पाते हैं. उन्होंने बताया कि दियारा की निचला स्तर के खेतों में पानी प्रवेश कर चुका है. निचले खेतों में 60 प्रतिशत पानी प्रवेश किया है, हालांकि किसानों को चारा लाने में अभी कोई खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है, लेकिन इससे थोड़ा अधिक पानी का जलस्तर बढ़ेगी तो परेशानी शुरू हो जायेगा. उन्होंने बताया कि सीओ से चार-पांच नाव की मांग की गयी है. सीओ द्वारा नाव उपलब्ध करा देने की बात कही गयी है.बोले अधिकारी
एसडीओ चंदन कुमार ने बताया कि दियारा क्षेत्र में अभी पानी कुछ खास नहीं आया है, पानी के प्रवेश करने के बाद जिला प्रशासन अधिकारी किसानों को हरसंभव सुविधा उपलब्ध करायेगी, इसके लिए जिला प्रशासन पूर्व से ही तैयारी किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है