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भिड़हा गांव के निचले वार्डों के घरों में घुसा बाढ़ का पानी

प्रखंड के टाल क्षेत्र अंतर्गत बाढ़ का पानी बढ़ने से ताजपुर, बंशीपुर, खावा राजपुर व किरणपुर आदि कई पंचायत स्थित गांव के निचले इलाके प्रभावित होना शुरू हो गया है.

मेदनीचौकी. प्रखंड के टाल क्षेत्र अंतर्गत बाढ़ का पानी बढ़ने से ताजपुर, बंशीपुर, खावा राजपुर व किरणपुर आदि कई पंचायत स्थित गांव के निचले इलाके प्रभावित होना शुरू हो गया है. ताजपुर वार्ड संख्या तीन व चार के निचले इलाके में बाढ़ का पानी घुस रहा है. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है. ताजपुर पंचायत के पंचायत समिति गिरीश कुमार तथा उक्त वार्ड के समाजसेवी अमरदीप कुमार, नंद किशोर महतो, घनश्याम महतो, प्रदीप राम, आनंदी महतो लालबहादुर शास्त्री, छबीला कुमार, रामबालक साव, तनिक तांती, रमोतार महतो, रंजीत महतो, पीयूष कुमार आदि के अनुसार ताजपुर के सरपंच अजीत कुमार ने बताया कि किऊल नदी में पानी बढ़ने से गोंदरी पुल का फाटक खोलने से गरखे नदी होकर टाल क्षेत्रों में पानी फैल रहा है. जिससे किरणपुर, बंशीपुर, खावा राजपुर व ताजपुर पंचायत के टाल क्षेत्र में हजारों एकड़ गहराई वाले इलाके में बाढ़ का पानी फैल कर गांव के निचले भाग में सट गया है. जिसमें गहरायी वाले इलाके में जिनका घर बना है, उसके आस-पास बाढ़ का पानी फैल गया है. लोगों ने बताया कि पिछले साल भी बाढ़ का पानी गांव के निचले इलाके में बसे कई घरों में प्रवेश कर गया था. जिससे सैकड़ों लोगों को जान-माल की परेशानी बढ़ गयी थी. इस बार भी वही नौबत आ पड़ी है.

प्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए उठाई आवाज

ताजपुर पंचायत के सरपंच अजीत कुमार ने बाढ़ के पानी से घिरे घर के संदर्भ में बताया कि वार्ड संख्या तीन व चार में बसे आबादी प्रत्येक साल बाढ़ के पानी से प्रभावित होता है. गहरायी वाले क्षेत्र होने के कारण यहां बसे लोगों के घर में पानी प्रवेश कर जाता है. जिससे इन लोगों को लगभग दो माह तक काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन प्रभावित लोगों को सरकार के तरफ से तत्काल राहत मिलनी चाहिए.

वहीं किरणपुर पंचायत के पूर्व मुखिया अनंत कुमार आनंद के कहा कि किरणपुर टाल क्षेत्र के गहरायी वाले रकबों में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है. जिससे मकई, सब्जी व अन्य फसल का नुकसान होने का संकट छा गया है. भिड़हा गांव के समाजसेवी अमरदीप कुमार का कहना है कि बाढ़ के पानी गांव में बसे आबादी में घुसने से लोगों को दूसरे जगह शरण लेना पड़ता है. घर का सामान भी सुरक्षित जगह पर ले जाना पड़ता है. मवेशियों के लिए चारा की समस्या खड़ी होती है. ऐसे में घर से बेघर हुए लोगों को राहत के लिए सरकारी सहायता की जरूरत होती है. ऐसे लोगों की पहचान कर जिम्मेदारों को तुरंत लाभ प्रदान करनी चाहिए.

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