बच्चों को दी गयी आरटीआइ व आरटीई कानून की जानकारी
पैनल अधिवक्ता अजय निराला एवं पीएलभी बटोही यादव के द्वारा दर्जनों बच्चों के बीच आरटीआइ एवं आरटीई के बारे में गुणवत्तापूर्ण जानकारी दी गयी.
लखीसराय. जिले के आरलाल कॉलेज के निकट दुर्गा शिक्षण संस्थान में दर्जनों बच्चों के बीच लखीसराय विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय शर्मा एवं विधिक सेवा प्राधिकार के प्रभारी सचिव सह अपर मुख्य दंडाधिकारी द्वितीय राजू कुमार के निर्देश पर पैनल अधिवक्ता अजय निराला एवं पीएलभी बटोही यादव के द्वारा दर्जनों बच्चों के बीच आरटीआइ एवं आरटीई के बारे में गुणवत्तापूर्ण जानकारी दी गयी. इसकी जानकारी देते हुए बताया गया कि संविधान के 46वें संशोधन अधिनियम 2002 के अनुच्छेद 21, (9) के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मौलिक शिक्षा का अधिकार मुक्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है. चार अगस्त 2009 को यह सदन में अधिनियम पारित हुआ एवं एक अप्रैल 2010 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ. वहीं उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार कानून यह एक ऐसा कानून है जो भारतीय नागरिक को सरकार द्वारा रखी गयी. सूचना तक पहुंचाने का अधिकार प्रदान करता है, इसे 12 अक्तूबर 2005 में अधिनियमित किया गया था और उसी वर्ष 13 अक्तूबर को लागू हुआ था. सूचना का अधिकार कानून अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से सूचना मांग सकता है. जिसका उत्तर 30 दिनों के भीतर देना अनिवार्य है. कोई भी भारतीय नागरिक आरटीआई आवेदन दायर कर सकता है. बिना किसी कारण और अपनी पहचान बताये आरटीआई सभी सरकारी संस्थानों पर लागू होता है. अनुरोध फॉर्म भर लेने के बाद आप इसे ऑनलाइन डाक द्वारा या व्यक्तिगत रूप से संबंधित कार्यालय में जमा कर सकते हैं. जब से आरटीआई अधिनियम लागू हुआ तब से सरकारी संस्थाओं के बहुत सारे ऐसे कार्य जिसकी जानकारी आम लोगों को कभी नहीं हो पाती थी अब वह सुलभ रूप से सूचना एकत्र हो जाता है. आरटीआई कानून लागू होने से सरकार की पॉलिसी एवं कार्य में पारदर्शिता आयी है, इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है.
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