लातेहार. मनिका प्रखंड के विशुनबांध पंचायत के खीराखाड़ गांव में आज भी मूलभूत बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. यहां आदिम जनजाति व आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं, जिनकी संख्या 150 है. खीराखाड़ यह गांव विशुनबांध पंचायत सचिवालय से चार किलोमीटर की दूरी पर बसा है. गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां दो-तीन चापानल हैं, जो काफी समय से खराब पड़े है. गांव में एक पुराना कुआं है, जो जर्जर हो चुका है. इसी कुएं के पानी से गांव के लोग प्यास बुझाते हैं. गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है. कच्चे मार्ग से होकर गांव के लोग आवागमन करते हैं. गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाये, तो उसे पैदल ही विशुनबांध तक ले जाना पड़ता है. वहां से सड़क मार्ग से स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाया जाता है. राज्य सरकार द्वारा आदिम जनजाति परिवार के लिए कई कल्याणकारी योजना चलायी जा रही है, लेकिन सरकार के सभी लाभ से इस गांव के लोग वंचित हैं. सरकारी लाभ के नाम पर नियमित रूप से डाकिया योजना के तहत राशन हर माह मिलता है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण मोहन परहिया, रमेश उरांव व भिखू परहिया ने बताया कि गांव में कोई साधन नहीं है. किसी तरह मेहनत मजदूरी कर गुजार करते हैं. गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. पगडंडी के सहारे गांव आते-जाते है. पेयजल के लिए काफी पहले कुछ चापानल लगाये गये थे, जो वर्तमान में खराब पड़े हैं. गांव में एक कुआं है, जिस पर सभी पानी के लिए निर्भर हैं. बारिश के मौसम में कुएं का पानी दूषित हो जाता है. गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं है. ग्रामीणों ने उपायुक्त से गांव में मूलभूत सुविधा बहाल करने की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है