जयंती पर याद किए गये लोकमान्य तिलक व चंद्रशेखर आजाद

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 168वीं जयंती तथा महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद की 118वीं जयंती मनायी गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | July 23, 2024 6:20 PM

बड़हिया. प्रखंड के टाल क्षेत्र स्थित पाली पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय फदरपुर में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 168वीं जयंती तथा महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद की 118वीं जयंती मनायी गयी. मंगलवार को विद्यालय की बाल संसद व मीना मंच के तत्वावधान में जयंती मनायी गयी. मीना मंच की प्रेरक शिक्षिका प्रीति कुमारी महतो तथा बाल संसद के उपप्रधानमंत्री नैना कुमारी व मीना मंत्री रूपा कुमारी की देखरेख में सबसे पहले शिक्षकों व छात्रों के द्वारा दोनों महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया. इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए संस्कृत शिक्षक पीयूष कुमार झा ने कहा कि लोकमान्य तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. उन्होंने देश की आजादी के लिए जनजागरण हेतु शिवाजी महोत्सव व गणपति महोत्सव की शुरुआत व्यापक स्तर पर की. वे कांग्रेस के गरम दल के सदस्य थे. वे आजादी के याचक नहीं बल्कि आजादी को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे. ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसे मैं लेकर रहूंगा’ उनका प्रसिद्ध नारा था. बंग भंग आंदोलन के विरोध में वे वर्मा के मांडले जेल में छह वर्षों तक रहे, जहां उन्होंने समय का सदुपयोग कर गीता रहस्य नामक पुस्तक की रचना की. वहीं चंद्रशेखर आजाद देश के महान क्रांतिकारी थे. इनका जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था. असहयोग आंदोलन के दौरान वे गिरफ्तार हुए. उस वक्त उन्होंने अंग्रेज मजिस्ट्रेट के सामने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता तथा घर जेलखाना बताया. जिस पर उन्हें 15 बेंत मारने की सजा मिली. इसके बाद उन्होंने प्रतिज्ञा कि वे कभी जीवित गिरफ्तार नहीं होंगे. इसके बाद इनके नेतृत्व में क्रांतिकारी आंदोलन काफी चरम पर था. 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के एक पार्क में अंग्रेजी पुलिस से मुठभेड़ के बाद अंतिम गोली उन्होंने स्वयं को मार कर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. कार्यक्रम के दौरान सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे. कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम के सामूहिक गान से किया गया.

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