लखीसराय में मिला 11वीं सदी का बौद्ध महाविहार, पहली बार लकड़ी की अनूठी मन्नत पट्टिका भी मिली

Mahavihar In Lakhisarai: लखीसराय जिले के लाल पहाड़ी की खुदाई के दौरान मिले महाविहार पर पूरी दुनिया की नजर है. कार्बन डेटिंग में यह महाविहार 11वीं सदी का पाया गया है, यह भारत का पहला महाविहार है जहां लकड़ी की मन्नत पट्टिकाएं मिली हैं. इसके साथ ही यहां भिक्षुणी निवास के साथ 12 वॉच टावर के अवशेष भी मिले हैं

By Anand Shekhar | June 23, 2024 2:53 PM

राजीव मुरारी सिन्हा. Mahavihar In Lakhisarai: भारत में प्राचीन बौद्ध महाविहार तो काफी हैं. बिहार की गंगा घाटी के इलाके में भी जगह-जगह हुई खुदाई से इसके अवशेष निकले हैं. परंतु, हाल ही में लखीसराय जिले की लाली पहाड़ी पर खुदाई से मिले बौद्ध महाविहार के चिन्ह पर पूरी दुनिया की नजर टिक गई है. गंगा घाटी में यह पहला मामला है, जब किसी बौद्ध महाविहार का अवशेष पहाड़ी पर मिला है. इससे पहले गंगा घाटी में मिले बौद्ध विहार के जमीन पर ही निर्मित होने के प्रमाण मिले हैं. कार्बन डेटिंग में इसके 11वीं-12वीं सदी के बीच के होने के अनुमान लगाए गए हैंं. देश में पहली बार यहां लकड़ी की मन्नत पट्टिका मिली है. इससे पहले लकड़ी की मन्नत पट्टिका म्यांमार या दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में ही पाई गई है.

भारत में पहली बार मिली लकड़ी की मन्नत पट्टिका 

यहां खुदाई कार्य का नेतृत्व करने वाले विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्राध्यापक डॉ अनिल कुमार ने बताया कि भारत में अब तक जहां भी खुदाई हुई, वहां पत्थर या मिट्टी की मन्नत पट्टिका मिली थी, लेकिन लखीसराय की लाली पहाड़ी पर खुदाई के दौरान लकड़ी की मन्नत पट्टिका मिली है, जो इसे अन्य जगहों से अलग पहचान दिलाता है. वहीं यहां भिक्षुणियों के आवासन का भी प्रमाण मिला है. उन्होंने कहा कि लाली पहाड़ी पर मिला बौद्ध महाविहार गंगा घाटी में पहाड़ी पर मिला पहला बौद्ध महाविहार है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

लखीसराय में मिला 11वीं सदी का बौद्ध महाविहार

मुख्यमंत्री ने 2017 में किया था खुदाई का शुभारंभ

लाली पहाड़ी पर बौद्ध महाविहार होने की संभावना की जानकारी मिलने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 नवंबर 2017 को लाली पहाड़ी पहुंच खुदाई कार्य का शुभारंभ किया था. जिसके बाद 2020 तक चली खुदाई के दौरान बौद्ध महाविहार का स्वरूप निकल कर सामने आया. इसमें सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के साथ ही ड्रेनेज सिस्टम की भी बात सामने आयी थी. वर्ष 2018 में स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसे देख काफी आश्चर्यचकित हुए थे. वहीं लाली पहाड़ी की खुदाई से निकली सामग्रियों को सुरक्षित रखने के लिए मौके पर ही सीएम ने लखीसराय में एक संग्रहालय का निर्माण कराने की घोषणा कर दी. जो अब मूर्त रूप ले चुका है.

यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं

डॉ अनिल कुमार कहते हैं कि लखीसराय को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं. सिर्फ इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लाली पहाड़ी की खुदाई के बाद जिले के आधा दर्जन स्थलों को राजकीय धरोहर घोषित कर दिया गया है, लेकिन उसके संरक्षण की दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. लाली पहाड़ी की तरह ही जिले के घोसी कुंडी, बिछवे, नोनगढ़, लय, उरैन आदि जगहों पर खुदाई की आवश्यकता है. जहां की खुदाई से लखीसराय का स्वर्णिम इतिहास निकलकर सामने आएगा और जिला में पर्यटकों का भी आगमन होगा. जो लखीसराय जिले के राजस्व बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगा.

Also Read: बिहार में पड़े थे कबीर के बीजक ग्रंथ के बीज, देश का आठवां कबीर स्तंभ भी बिहार में

Next Article

Exit mobile version