जिले में पारंपरिक व पौराणिक तरीके से आज भी मनायी जाती है मकर संक्रांति
जिले में 14 एवं 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जानी है. कई लोग 14 जनवरी को मंगलवार को तिल मीठा एवं चावल के प्रसाद को नहीं छूते हैं.
आज भी कुटुंब व हितैषी को भेजा जाता है दही चूड़ा का संदेश
तिलकुट व घीवर की सौंधी एवं चाशनी की महक से गुलजार हो रहा बाजार
लखीसराय. जिले में 14 एवं 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जानी है. कई लोग 14 जनवरी को मंगलवार को तिल मीठा एवं चावल के प्रसाद को नहीं छूते हैं. इसलिए कुछ लोग मकर संक्रांति बुधवार यानि 15 जनवरी को मनायेंगे. बुधवार खिचड़ी का भोजन को शुद्ध माना जाता है. इसलिए बुधवार को भी मकर संक्रांति मनायेंगे. वर्तमान में भी मकर संक्रांति पौराणिक एवं पारंपरिक तरीके मनाया जाता है. जहां दही के लिए मशहूर जगह है वहां से लोगों के द्वारा दही संदेश अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंचाया जा रहा है. वहीं कतरनी एवं खुशबूदार बासमती धान का चूड़ा का संदेश पहुंचाया जा रहा है. किऊल-गया एवं किऊल-जमालपुर रेलखंड पर चलने वाली विभिन्न ट्रेनों में चूड़ा दही का संदेश पहुंचाया जा रहा है. यही कारण है कि ट्रेनों में भीड़ भी काफी बढ़ गयी है.
लखीसराय से दूर-दूर तक पहुंच रहा तिलकुट का संदेश
पिछले कुछ माह से लखीसराय का तिलकुट गया के तिलकुट से भी मशहूर होते जा रहा है. लखीसराय का खस्ता एवं खोआ का तिलकुट प्रत्येक साल 15 जनवरी तक गया एवं अन्य शहर के कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है. खस्ता तिलकुट लखीसराय में कई तरह का तैयार किया जाता है. खास्ता एवं खोआ का तिलकुट तीन सौ से चार सौ रुपये किलो बिक रहा है. बाहरी कारीगरों द्वारा पंजाबी मोहल्ला एवं नयी बाजार के दालपट्टी में निर्माण कराया जा रहा है. तिलकुट का मुख्य बाजार विद्यापीठ चौक एवं नया बाजार के दालपट्टी में अधिक देखा जा रहा है. पुराने तिलकुट व्यवसायी संजय शर्मा ने बताया कि उनके यहां बाहर भेजने वाले तिलकुट डिमांड के अनुसार भी तैयार किया जाता है. नया बाजार के मेघनाथ ने बताया कि पिछले कई सालों से वे तिलकुट के व्यवसाय से जुड़े हैं. लखीसराय देहाती क्षेत्र होने के कारण तिलकुट तैयार करवाकर बेचने में कोई खास बचत नहीं है. कुछ लोग स्पेशल तिलकुट की मांग करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग सस्ते कीमत पर तिलकुट की खरीदारी करते हैं.
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