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जिले में 500 से अधिक टीबी के मरीज, सही इलाज व खान-पान जरूरी

टीबी एक संक्रमण बीमारी तो है ही, पर इसका इलाज अगर समय पर किया जाय, तो मरीज फिर से अपनी नयी जिंदगी जी सकता है.

लखीसराय. टीबी एक संक्रमण बीमारी तो है ही, पर इसका इलाज अगर समय पर किया जाय, तो मरीज फिर से अपनी नयी जिंदगी जी सकता है, यानि कि वह फिर से अपनी पुरानी दिनचर्या में जीवन जी सकता है, ये कहना है जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ श्रीनिवास शर्मा का. वो कहते हैं इस बीमारी से बचाव एवं स्थायी निजात के लिए समय पर जांच एवं समुचित इलाज कराना बहुत जरूरी है, इसलिए लक्षण दिखते ही तुरंत ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जायें और जांच करायें. जांचोपरांत चिकित्सा परामर्श का पालन जरूर करें, ताकि संक्रमित इस बीमारी से पूरी तरह से छुटकारा पा सकें.

जिले में कुल 539 टीबी मरीज का चल रहा है इलाज

सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा ने कहा कि इस वर्ष अभी तक कुल 539 टीबी मरीज का समुचित इलाज सरकारी स्वास्थ्य संस्थान द्वारा निःशुल्क किया जा रहा है. इनमें कुल 24 एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) के मरीज हैं, डॉ सिन्हा ने बताया मल्टी ड्रग रेजिसटेंट (एमडीआर) टीबी के इलाज को आसान बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाया गया है. पहले एमडीआर टीबी से पीड़ित मरीजों को 24 महीने तक दवा खानी पड़ती थी, पर अब ऐसे मरीजों को शॉर्ट टर्म में सिर्फ 11 एवं लॉन्ग टर्म में 18 महीने तक ही दवा खानी पड़ती है. इसके लिए सरकार द्वारा बीडाकुलीन नामक दवा की शुरुआत की गयी है, ये दवा सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में ही मिलती है.

बचाव के लिए उपाय

2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर चिकित्सक को दिखायें, दवा का पूरा कोर्स लें, चिकित्सक से बिना पूछे दवा बंद न करें

मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर या नैपकिन से कवर करेंमरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबीन में डाल दें, यहां-वहां नहीं थूकें

पौष्टिक खाना खायें, व्यायाम व योग करें

बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें

भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें

ये हैं टीबी के लक्षण

भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना

बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना

हलका बुखार रहना

खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना, कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना

गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना

गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि

पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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