आंबेडकर बस पड़ाव को ले आमने-सामने नप व जिला परिषद
विद्यापीठ चौक स्थित आंबेडकर बस पड़ाव की नीलामी डीडीसी के मना करने के बावजूद कर दिया गया.
लखीसराय. विद्यापीठ चौक स्थित आंबेडकर बस पड़ाव की नीलामी डीडीसी के मना करने के बावजूद कर दिया गया, जबकि डीडीसी कुंदन कुमार ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि आंबेडकर बस पड़ाव जिला परिषद की जमीन में है. इसलिए आंबेडकर बस पड़ाव की नीलामी रोक दी जाय, बाबजूद इसके बस पड़ाव की नीलामी 75 लाख 81 हजार में करा दी गयी. बस पड़ाव की नीलामी को रद्द किया जा सकता है. जिला परिषद की जमीन होने के लिए डीडीसी के द्वारा पूरा प्रमाण भी दिया गया है. वहीं जब बस पड़ाव की जमीन नगर परिषद से मांग की गयी तो नगर परिषद के पास कोई सबूत नहीं पेश किया गया, इससे जाहिर होता है कि आंबेडकर बस स्टैंड की जमीन जिला परिषद की ही है.
नगर परिषद द्वारा जमीन नहीं छोड़ी गयी तो मामला पहुंच सकता है हाई कोर्ट
नगर परिषद अगर अपने जमीन होने का प्रमाण पेश नहीं किया तो जिला परिषद उसके खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है. हाईकोर्ट में नगर परिषद के अधिकारियों को जवाब देना होगा कि आखिर वह किस परिस्थिति में आंबेडकर बस स्टैंड की जमीन पर नगर परिषद द्वारा संचालित किया जा रहा है. इस बात को लेकर अब जिला परिषद एवं नगर परिषद में ठन चुकी है. हालांकि नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि नगर परिषद के द्वारा वर्षों से बस स्टैंड की नीलामी कराते आया है. वर्षो बाद अचानक जिला परिषद के द्वारा आंबेडकर बस स्टैंड की जमीन को अपना जमीन होने की दावा कर रहे हैं, आखिर इतने दिनों तक जिला परिषद के द्वारा जमीन पर दावा क्यूं नहीं कर रही थी. जिला परिषद के नये अध्यक्ष बनने के बाद जिला परिषद की सड़क दुकान एवं जमीन की तलाश में जुट चुके हैं. जिला परिषद के शहर में कहां-कहां जमीन है, इसकी खोज की जा रही है. इस खोज के दौरान ही पता लगाया गया कि आंबेडकर बस स्टैंड की जमीन जिला परिषद की है.
बोले अधिकारी
डीडीसी कुंदन कुमार ने बताया कि जब से नगर परिषद के द्वारा बस पड़ाव की नीलामी की गयी तभी से उसका हिसाब लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि नगर परिषद अपने जमीन का होने का प्रमाण नहीं देता है तो हाईकोर्ट में उन्हें जवाब देना होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है