हत्यारोपित को मिली सश्रम आजीवन कारावास की सजा
विद्वान न्यायाधीश राजीव कुमार मिश्रा द्वारा हत्या के मामले में एक नामजद अभियुक्त को सश्रम आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया गया है.
लखीसराय. जिला व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित जिला एवं सत्र न्यायालय तृतीय के विद्वान न्यायाधीश राजीव कुमार मिश्रा द्वारा हत्या के मामले में एक नामजद अभियुक्त को सश्रम आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया गया है. साथ ही 20 हजार रुपये अर्थदंड की भी बात पारित आदेश में कही गयी है. अर्थदंड अदा नहीं करने पर दो वर्ष की अतिरिक्त सजा का प्रावधान आदेश में रखा गया है. मामला जिले के किऊल थाना क्षेत्र अंतर्गत इटहरी गांव का है. आजीवन कारावास की सजा किऊल थाना कांड संख्या 74 /21 से जुड़े सत्रवाद संख्या 81/22 में सुनायी गयी है. केस के विचारण के दौरान बहस-पैरवी में बचाव पक्ष से पैनल अधिवक्ता सत्यम कुमार एवं अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक रामबिलास शर्मा हिस्सा ले रहे थे. मामले की जानकारी देते हुए एपीपी शर्मा ने बताया कि दिनांक 27 जुलाई 2021 को इटहरी गांव निवासी सह सूचक दुखन यादव का पुत्र महेंद्र यादव अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर के आगे गली में खाना खाकर बैठा हुआ था. कुछ बात को लेकर सामने के घर के चंद्रिका यादव का पुत्र संजय यादव आकर महेंद्र यादव के पुत्र लालू कुमार को गाली-गलौज करने लगा. दोनों पक्षों से लोगों ने समझा-बुझाकर संजय यादव को घर भेज दिया. लालू कुमार मामले की नजाकत को समझते हुए मोबाइल से किऊल थाने को जानकारी देने का प्रयास करने लगा. इसी बीच संजय यादव पुनः घर से बाहर आकर गाली-गलौज करने लगा. साथ ही चंद्रिका यादव की पत्नी रामवती देवी यह कहते हुए कि लालू कुमार बराबर थाने को फोन करते हुए हम सभी को फंसाता है, खंती हाथ में थमा दिया, इसे मारो तब ठीक होगा. जिसके बाद संजय यादव ने पीछे से खंती से सिर पर प्रहार कर लालू कुमार को जख्मी कर दिया. जिसके बाद आनन-फानन में उसे इलाज के लिए लखीसराय सदर अस्पताल लाया गया. जहां से गंभीर रूप से जख्मी को पटना रेफर किया गया. जहां इलाज के दौरान लालू कुमार की मौत हो गयी. इसमें रामवती देवी एवं उसके पुत्र संजय यादव को नामजद आरोपी बनाया गया था. पुलिस द्वारा अनुसंधान में रामवती देवी को निर्दोष पाया गया. सिर्फ संजय यादव को आरोपित करते हुए न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन समर्पित किया गया. विचारण के दौरान सभी धाराओं में दोषी पाते हुए अर्थदंड के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी.
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