मूर्ति लेने पहुंचे संग्रहालय कर्मियों के साथ ग्रामीणों ने की मारपीट

जिले में पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों व वस्तुओं को संजोकर रखने के लिए राज्य सरकार के द्वारा एनएच 80 अशोक धाम मोड़ पर भव्य संग्रहालय का निर्माण कराया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | October 4, 2024 9:19 PM

लखीसराय. जिले में पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों व वस्तुओं को संजोकर रखने के लिए राज्य सरकार के द्वारा एनएच 80 अशोक धाम मोड़ पर भव्य संग्रहालय का निर्माण कराया गया. जिसके बाद अब संग्रहालय में जिले के विभिन्न जगहों से मिली मूर्तियों को संजोकर रखने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसी क्रम में विगत कुछ वर्षों से अशोक धाम परिसर में बनाये गये अस्थायी संग्रहालय में भी रखे मूर्तियों को संग्रहालय में रखा जाना शुरू हुआ. हालांकि ग्रामीणों के विरोध में बाद अस्थायी संग्रहालय में रखे 114 मूर्तियों को संग्रहालय अध्यक्ष डॉ सुधीर कुमार यादव के नेतृत्व में संग्रहालय कर्मी द्वारा वाहनों से लखीसराय संग्रहालय में पहुंचा दिया गया. इस संबंध में संग्रहालय अध्यक्ष डॉ यादव ने बताया कि शुक्रवार को अशोक धाम मंदिर प्रबंध समिति के सचिव डॉ कुमार अमित द्वारा अस्थायी संग्रहालय में रखे मूर्तियों को उठाकर लखीसराय संग्रहालय में ले जाने के बाद सूचना दी. जिसके आलोक में संग्रहालय कर्मी के साथ वे लोग अशोक धाम पहुंचे. जहां से एक ट्रिप में 22 मूर्तियों को लेकर संग्रहालय पहुंचाया गया. हालांकि उस दौरान भी कुछ लोगों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन समझाने-बुझाने के बाद लोगों ने मूर्तियों को ले जाने दिया. दूसरी बार जब मूर्ति लेने के लिए उनकी गाड़ी पहुंची तो स्थानीय ग्रामीणों द्वारा भारी विरोध दर्ज कराया गया. जिस क्रम में उनके कर्मी के साथ भी ग्रामीण उलझ पड़े, जिसमें उनके दो कर्मी सुमित कुमार सिंह व अमित कुमार घायल हो गये. वहीं जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे मंदिर समिति के सचिव डॉ कुमार अमित के पहुंचने व लोगों के समझाने-बुझाने के बाद शेष मूर्तियों को उठाकर संग्रहालय में रखवा दिया गया. डॉ यादव ने बताया कि सूचना मिलने पर टाउन थाना की पुलिस भी मौके पर पहुंची तब तक सभी ग्रामीण वहां से चले गये थे. डॉ यादव ने बताया कि उन्होंने मामले की जानकारी जिलाधिकारी को भी दे दी है. वहीं इधर, मंदिर समिति सचिव डॉ अमित ने बताया कि संग्रहालय के कर्मी मूर्ति लेने के लिए पहुंचे, जिनका ग्रामीणों के द्वारा थोड़ा विरोध किया गया, हालांकि बाद में सभी ग्रामीणों को समझा बुझाया गया, जिसके बाद संग्रहालय कर्मी मूर्तियों को संग्रहालय लेकर चले गये.

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