लखीसराय. जिले के दियारा क्षेत्र में बाढ़ ने किसानों के लिए तबाही मचा दी है. किसान के मक्का एवं सोयाबीन का फसल बर्बाद हो चुके हैं. फसल बर्बाद तो होने के साथ ही किसान आर्थिक स्थिति से काफी कमजोर हो चुकी है. दियारा क्षेत्र के एक दर्जन से भी अधिक किसान बाढ़ के कारण दोहरी आर्थिक नुकसान में चले गये हैं. जिसकी भरपाई सरकार के द्वारा कर पाना संभव नहीं है. दियारा क्षेत्र कृषि विभाग के पटल पर रबी फसल के लिए अंकित है. अन्य फसल की बर्बादी एवं तबाही पर यहां के किसानों को कोई राहत नहीं मिलती है. किसान के द्वारा राहत के लिए सरकार से गुहार लगाते हैं, लेकिन उनकी एक भी नहीं सुनी जाती है. बाढ़ के कारण प्रत्येक साल यहां के किसान दोहरी आर्थिक स्थिति का मार झेलते हैं. किसान अपने आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए नकद फसल करना चाहते है. इस बार भी किसान के द्वारा महंगे दर पर सोयाबीन की खेती किया गया, लेकिन उनके फसल बाढ़ ने बर्बाद कर दिया. यहां के अधिकांश किसान पट्टा पर भी जमीन मालिक से लेकर करते हैं. बाहर में रहने वाले भू-स्वामियों से 35 से 40 मन अनाज के बदले एक बीघा जमीन पट्टा पर लिया जाता है. एक साल में किसान को 35 से 40 मन अनाज या अनाज के भाव से राशि दिया जाता है. इसके लिए किसान महंगे फसल लगाकर अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहता है, लेकिन प्रत्येक साल बाढ़ की तबाही के कारण किसान आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. बाढ़ से क्षतिपूर्ति के लिए किसानों को कोई सहायता नहीं दिया जाता है. यहां तक कि यहां के पशुपालक को बाढ़ के पानी में चारा डूबने के बाद उन्हें कभी कभी चारा उपलब्ध कराया जाता है. जिला कृषि पदाधिकारी सुबोध कुमार सुधांशु का कहना है कि दियारा क्षेत्र के किसानों को रबी फसल के लिए सहायता पहुंचायी जाती है, लेकिन उपरोक्त फसलों को लेकर उन्हें मुआवजा सीओ के स्तर पर दिया जाता है.
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