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नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का हुआ समापन

शहर के धर्मरायचक में आयोजित नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का समापन देर शाम को भव्य और अद्भुत श्रद्धा के साथ हुआ.

लखीसराय. शहर के धर्मरायचक में आयोजित नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का समापन देर शाम को भव्य और अद्भुत श्रद्धा के साथ हुआ. महायज्ञ के समापन के अवसर पर शाम को गायत्री दीप महायज्ञ का आयोजन किया गया, जो पूरे आयोजन का मुख्य आकर्षण बना. इस पवित्र अनुष्ठान में हजारों दीपों का प्रज्वलन किया गया, जो श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का प्रतीक था. शाम को आयोजित गायत्री दीप महायज्ञ के दौरान यज्ञशाला में उपस्थित हर श्रद्धालु ने अपने-अपने द्वारा लाये गये दीप जलाये. दीपों की लौ से पूरा क्षेत्र प्रकाशमान हो उठा, यह दृश्य अत्यंत आध्यात्मिक और अद्वितीय था. दीप प्रज्वलन के साथ-साथ गायत्री मंत्रों का उच्चारण किया गया. जिसने पूरे वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया. श्रद्धालुओं ने इस दीप महायज्ञ में भाग लेकर अपने जीवन को प्रकाशमय और पुण्य से परिपूर्ण बनाने की कामना की. पटना के यज्ञाचार्य लाल बाबू जी ने मां गायत्री के मंत्र के प्रभाव को समझाया. उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र द्वारा शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, लौकिक, प्रलौकिक हर तरह की शांति और सुख प्राप्त किया जा सकता है और स्त्री के हर अवस्था को विशेष पूजनीय व सम्मानीय बताया. समापन के अवसर पर ग्रामीण एवं आमजन व गायत्री परिवार के सदस्य ने मिल कर यज्ञ आचार्य लाल बाबू को गायत्री मंत्र लिखित अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया. धर्मरायचक के गायत्री परिवार के सक्रिय सदस्य व समाजसेवी संतोष कुमार ने यज्ञ में विशेष योगदान देने वाले प्रमुख अतिथियों वार्ड पार्षद रेणु देवी, अर्जुन यादव, धर्मराज भारती, डॉ नवल किशोर, जनार्दन मंडल, गायत्री परिवार के जवाहर साव, सुरेंद्र भगत, रवि कुमार मंडल, विनोद सिंह, सुरेश मंडल, रामप्रवेश व अन्य सहयोगियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. यह सम्मान समारोह श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहा. सम्मानित व्यक्तियों ने महायज्ञ की सफलता के लिए आभार प्रकट किया और समाजसेवी अर्जुन यादव ने अगले साल जनवरी में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ करवाने का लक्ष्य रखा है और प्रत्येक माह के पूर्णिमा को ऐसे आयोजनों में तन मन धन से सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. अंतिम दिन के इस भव्य आयोजन के साथ नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का समापन हुआ. यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ ही श्रद्धालुओं ने महायज्ञ के समाप्त होने पर संतोष और शांति की अनुभूति की. इस पूरे आयोजन ने धर्मरायचक और उसके आसपास के क्षेत्रों में आध्यात्मिक जागरूकता का प्रसार किया. इस प्रकार नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ ने अपने समापन दिवस पर भी श्रद्धालुओं को धर्म, आस्था और भक्ति से जोड़ते हुए एक सकारात्मक और प्रेरणादायक वातावरण का निर्माण किया.

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