लखीसराय. जिले में बारिश नहीं होने के कारण इस बार किसानों के द्वारा धान का बिचड़ा विलंब से गिराया जा रहा है. पिछले कई सालों से कई प्रगतिशील किसानों के द्वारा धान का बिचड़ा जून माह के प्रथम पखवाड़ा से ही शुरू कर दिया जाता था, लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के कारण किसान अपने सोर्स से खेतों में पानी देकर धान का बिचड़ा गिराना शुरू कर दिया है. धान का बिचड़ा गिराने का उपयुक्त समय अभी भी बाकी है. वर्तमान में कम समय में धान का बिचड़ा तैयार होने वाले की ही बिचड़ा गिराया जा रहा है. जिस किसान के पास अपना बोरिंग है वह अपने बोरिंग के माध्यम से खेतों में पानी जमा कर धान का बिचड़ा गिरना शुरू कर दिया है.
लेट वैराइटी बिचड़ा गिराना अब संभव नहीं
बारिश नहीं होने के कारण लेट वैरायटी की धान का बिचड़ा गिरना अब मुनासिब नहीं है. 160 दिन का धान तैयार होने वाली राजेंद्र मंसूरी एमपीयू 7029 जैसे धान का बिचड़ा गिरने का अब समय समाप्त हो चुका है. इस तरह के धान का बिचड़ा गिराने का समय 25 मई से 10 जून तक ही सीमित समय था. इसके बदले अब सबौर संपन्न को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रमोट किया जा रहा है. सबौर संपन्न धान की उपज अधिक होती है. इसका बिचड़ा गिराने की अवधि 10 जून से 25 जून तक है. जबकि इसका धान का पौधा 135 से 140 दिन में तैयार हो जाता है. कृषि वैज्ञानिक सुधीर चंद्र ने बताया कि सबौर संपन्न धान के वैराइटी का बिछड़ा गिरने से किसानों को काफी उपज मिल पाता है. उन्होंने बताया कि हाइब्रिड के मुकाबले सबौर संपन्न धान का बिचड़ा को बिहार सरकार ने भी प्रमोटे करने को लेकर चिन्हित किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है