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अब तेजी से होगा भूमि संबंधित मामले का निबटारा

जिले में भूमि संबंधित विवादों का निबटारा अब तेजी से होने की संभावना लोगों द्वारा व्यक्त की जा रही है.

लखीसराय. जिले में भूमि संबंधित विवादों का निबटारा अब तेजी से होने की संभावना लोगों द्वारा व्यक्त की जा रही है. लोगों को भूमि संबंधित मामलों को लेकर अंचल कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे, खास कर डिजिटलाइजेशन एवं दाखिल खारिज के लिए लोगों को महीना नहीं साल तक भी अंचल कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा था लेकिन केके पाठक को भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव बनाने के बाद भूमि संबंधित मामलों को लेकर अब तेजी से निबटारा किया जा सकता है. केके पाठक के अपर सचिव के बारे में जानकर सभी अंचलाधिकारी अपने-अपने कार्यालय के पुराने मामलों को गंभीरता से ले रहे हैं. बताया जा रहा है की जिले के लगभग सभी अंचल में दाखिल खारिज एवं डिजिटलाइजेशन का कार्य पेंडिंग है, जिससे कि लोगों को अंचल कार्यालय का चक्कर भी काटना पड़ता है. खासकर डिजिटलाइजेशन के लिए लोगों को भारी मशक्कत उठानी पड़ रही है. लोग अपने डिजिटलाइजेशन में हुई गड़बड़ी को लेकर चक्कर काट रहे है. म्यूटेशन जैसा ही डिजिटलाइजेशन का प्रोसेस होने के कारण लोगों को कभी राजस्व कर्मचारी तो कभी राजस्व अधिकारी नहीं मिल पाते हैं. वह डिजिटलाइजेशन में सुधार के लिए भी लोगों को इधर से उधर भटकना पड़ता है. डिजिटलाइजेशन में राजस्व कर्मचारी का भूल को जमीन मालिक को भुगतना पड़ रहा है. डिजिटलाइजेशन में खात, खसरा, नाम व जमाबंदी आदि में गड़बड़ी होने पर लोगों को पहले राजस्व कर्मचारी से रिपोर्ट लेना होता है, जिसके बाद राजस्व अधिकारी के द्वारा किये जाने पर अंचलाधिकारी के द्वारा शुद्धिकरण का आदेश दिया जाता है, इसके बाद शुद्धिकरण किया जाता है. इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए लोगों को महीनों अंचल कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है. लगभग सभी अंचल कार्यालय में डिजिटलाइजेशन एवं डिजिटलाइजेशन में शुद्धिकरण के अलावा म्यूटेशन के लिए बिचौलियों के द्वारा लोगों से एक मुश्त में राशि लेकर कार्य करने की जिम्मेवारी ले लेता है. राजस्व कर्मचारी के यहां काम करने वाले लोगों द्वारा ही म्यूटेशन एवं डिजिटलाइजेशन का कार्य लेने को जिम्मेवारी ली जाती है.

म्यूटेशन के रिजेक्ट होने के बाद लोगों को अधिक होती है परेशानी

म्यूटेशन के रिजेक्ट होने के बाद लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अधिकांश अंचल कार्यालय में बिना कारण के ही लोगों का म्यूटेशन रिजेक्ट कर दिया जाता है. अंचल कार्यालय से म्यूटेशन रिजेक्ट होने के बाद डीसीएलआर के यहां सबमिट करने के लिए अधिवक्ता के माध्यम से लोगों को जाना पड़ता है. जिसके लिए अधिवक्ताओं को अच्छी खासी फीस भी दी जाती है. एक म्यूटेशन के डीसीएलआर से म्यूटेशन को पास करने के लिए पांच से 10 हजार तक लोगों को खर्च करना पड़ता है. डीसीएलआर से ऑर्डर कराने के लिए आवेदक को महीना लग जाते हैं. एक तरफ आवेदक को पैसा खर्च करना पड़ता है तो दूसरी तरफ उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

बोले अधिकारी

एडीएम सुधांशु शेखर ने बताया कि सभी अंचल से रिपोर्ट मंगा कर उसकी समीक्षा की जा रही है. अंचल के कार्य की समीक्षा के बाद सभी अंचलाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिया जायेगा. अंचल कार्यालय में कार्य में तेजी लाने के लिए कवायद एक सप्ताह पूर्व ही शुरू कर दी गयी है, अंचल के कार्य तेजी से निबटारा कराया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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