लखीसराय. दानापुर रेल मंडल अंतर्गत मोकामा-झाझा रेलखंड पर लखीसराय व किऊल दो जंक्शन को किऊल नदी ने विभाजित कर रखा है. जहां लखीसराय जिला मुख्यालय का स्टेशन है, तो किऊल को रेलवे में एक महत्वपूर्ण स्टेशन का दर्जा प्राप्त है. यहां अधिकांश ट्रेनों का ठहराव है. ऐसे में इन दोनों स्टेशनों पर आवागमन को लेकर किऊल नदी को पार करना पड़ता है. जिसके लिए आम पैदल रास्ता उपलब्ध नहीं है. सड़क मार्ग की सुविधा के लिए सात किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ऐसे में यात्री रेलवे पुल के किनारे संकीर्ण रास्ता या फिर बीच पुल से ही रेलवे लाइन पर चलकर आवागमन करते हैं. ऊपर से अमृत भारत योजना में शामिल लखीसराय स्टेशन को व्यवस्थित करने को लेकर निर्माण का कार्य अभी अधूरा पड़ा है. प्लेटफॉर्म से बाहर निकलने की सुविधा उपलब्ध नहीं है. लोग रेलवे लाइन पार करके आवागमन करते हैं. इस लापरवाही का आलम यह है कि गुरुवार को ही रेलवे पुल के पूर्वी दिशा में पुल से गिरकर कल्याणपुर मुंगेर के वृद्ध व लखीसराय स्टेशन पर ट्रेन का झटका लगने से एक विवाहिता को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. आरपीएफ द्वारा किऊल में रेल पोस्ट स्थापित है. थानाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह के नेतृत्व में लगातार इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लोगों से सुरक्षित रास्ते का इस्तेमाल करने, परिवहन के नियम बायें साइड से चलने को लेकर प्रेरित करने के साथ-साथ दंडात्मक अभियान भी चलाया जाता है. परंतु लोगों की लापरवाही का खामियाजा प्राण देकर चुकानी पड़ रही है तो रेलवे के लिए भी सिर दर्द बना हुआ है. वर्षों से किऊल नदी पर रेल लाइन के समानांतर आवागमन की सुविधा की मांग फाइलों में ही सिमट कर रह गयी है.
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