बड़हिया. जीवंत कविता के महान रचनाकार तथा मगही के कबीर से विभूषित प्रख्यात कवि सह बड़हिया निवासी मथुरा प्रसाद नवीन की 23वीं पुण्यतिथि मंगलवार को मनायी गयी. इस अवसर पर मथुरा प्रसाद नवीन चेतना समिति के तत्वावधान में सदस्य सौरभ कुमार के नेतृत्व में उपस्थित सदस्य व ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से नागवती स्थान स्थित कवि मथुरा प्रसाद नवीन के प्रतिमा पर फूल माला व पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. मौके पर उपस्थित सदस्य ने संबोधित करते कहा कि जीवंत कविता के महान रचनाकार तथा मगही के कबीर से विभूषित प्रख्यात कवि बड़हिया निवासी स्व मथुरा प्रसाद नवीन की कृतियां आज भी समाज के लिए प्रासंगिक है. बड़हिया रामचरण टोला में 14 जुलाई 1928 को जन्म लिए कविवर नवीन ने मगही भाषा का कबीर बनकर राजनीति, धर्म, राष्ट्रभक्ति, परंपराएं, रूढ़ियों के साथ आज की व्यवस्था पर अपनी रचना से चोट करते हुए विषम परिस्थितियों में भी समाज को नयी दिशा दी. उनकी रचनाओं पर दर्जनों साहित्यकारों ने पीएचडी और डी-लिट की उपाधि ली.
समाज में जागृति पैदा करने के लिए लिखी कविताएं
नवीन ने अपने गांव पर व्यंग करते हुए लिखा था हमर गांव हो आला बबुआ, हमर गांव हो आला, बेटा हो बंदूक उठइले बाप जपो हो माला. उन्हें मगही के कबीर की उपाधि महान कवि नागार्जुन से प्राप्त हुई थी. नागार्जुन, गोपाल सिंह नेपाली, फणीश्वरनाथ रेणु, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामधारी सिंह दिनकर, महादेवी वर्मा सरीखे दर्जनों साहित्यकारों के चहेते कवि मथुरा प्रसाद नवीन जी ने यथार्थ के धरातल पर बेबाक टिप्पणी करने में माहिर होने के कारण जनकवि के रूप में ख्याति अर्जित की. साहित्य के माध्यम से समाज में परिवर्तन करने वाले समाज के लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार कवि नवीन ने समाज में जागृति पैदा करने के लिए सभी क्षेत्रों के लिए कविताएं लिखी थीं. नवीन जी ने इस पूरे क्षेत्र की पहचान साहित्य जगत में स्थापित कराया था. मौके पर शिक्षक रामप्रवेश कुमार, जयशंकर प्रसाद उर्फ भादो बाबु, दिलीप सिंह, रौशन अनुराग, कमलेश कुमार, राजेश कुमार सहित कई सदस्य व ग्रामीण मौजूद थे.
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