लखीसराय. जिला मुख्यालय चितरंजन रोड प्रभात चौक जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन कार्यालय के सभागार में रविवार को मासिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. रामबालक सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में सर्वप्रथम चर्चित कवि दशरथ महतो रचित कविता संग्रह ‘पानी और पर्यावरण की कविताएं’ का लोकार्पण किया गया. तमाम साहित्य सेवी ने करतल ध्वनि से स्वागत कर लेखनी की सराहना की. इसके उपरांत देश-विदेश के माहौल पर रचित रचनाओं की उपस्थित कवि बंधुओं द्वारा अपनी-अपनी कविता की प्रस्तुति दी गयी. जिसमें शिवदानी सिंह बच्चन ने ‘बांग्लादेश में हो गेलौय बगावत, हमरो जनता देलक शहादत’, कोलकाता की दुर्दशा पर सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा दी गयी प्रस्तुति ‘बिटिया रोये करे पुकार, सुन लो सज्जन बारंबार, बारी तेरी कब आएगी, मत करो अधिक इंतजार’ आदि पर खूब तालियां बजी. कवि देवेंद्र आजाद ‘गीत संगीत सुनने से ज्ञान नहीं मिलता है और मंदिर जाने से भगवान नहीं मिलता है कोई तो बताएं पत्थर क्यों पूजते लोग, क्योंकि भरोसे के लायक इंसान नहीं मिलता’. ‘जीवन पासवान ने ‘संसद भवन बना डायलॉगबाजी का अड्डा, मजाक में उड़ाता है नेता जनता का गुद्दा’. भोला पडित ने ‘नजारा देख दुनिया का जिगर रोकर भी कहता है सुधारस जो पिलाता था वहीं आज विष पिलाता है’. बलजीत कुमार की प्रस्तुति शीर्षक: ‘बेशर्मी की हद”””” में कहा गया कि लड़कियों को जब मैं सड़क पर देखता हूं तो उसके शरीर पर दुपट्टा तक नहीं रहता है और वह फैशन में डूबी रहती है. यह बहुत शर्म की बात है. इसके अलावे कवि रोहित कुमार, कामेश्वर प्रसाद यादव, पीयूष कुमार झा, सुबोध कुमार, राजेश्वरी प्रसाद सिंह और वीरेंद्र पांडे ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की.
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