लखीसराय. सदर प्रमुख एवं उप प्रमुख के विरूद्ध पिछले 22 फरवरी 2024 को अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद नये सिरे से सदर प्रखंड प्रमुख एवं उप प्रमुख का चुनाव शनिवार को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई. एसडीओ चंदन कुमार के देखरेख में कराये गये चुनाव में पूनम कुमारी को 15 पंचायत समिति सदस्यों में से 11 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हुआ. तत्कालीन प्रमुख लीला देवी के पक्ष में मात्र चार पंसस का समर्थन मिला. जबकि उप प्रमुख को लेकर हुए चुनाव में गढ़ी बिशनपुर पंचायत के भाग संख्या सात से पंचायत समिति सदस्य मणिकांत सिंह को आठ पंचायत समिति सदस्य का समर्थन प्राप्त होने के बाद उप प्रमुख पद पर निर्वाचित घोषित किया गया. तत्कालीन उप प्रमुख बालगुदर पंचायत की पंचायत समिति सदस्य पार्वती देवी के पक्ष में सात सदस्यों का समर्थन प्राप्त हुआ. 2021 में संपन्न पंचायत चुनाव के बाद उप प्रमुख को लेकर हुए चुनाव में भी मणिकांत सिंह दावेदार थे. जिन्हें इस बार कड़े टक्कर में सफलता प्राप्त हुई. जिला परिषद अध्यक्ष की तरह ही अंततः प्रखंड प्रमुख लीला देवी को पदच्युत कर पूनम कुमारी प्रखंड प्रमुख बनने में सफल रही. बताते चलें कि जिला परिषद अध्यक्ष की तरह ही प्रमुख लीला देवी के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने को लेकर मामला उच्च न्यायालय तक जा पहुंचा था. दामोदरपुर पंचायत भाग संख्या 13 से अपनी सास शमरी देवी के सात जून 22 को निधन होने पर रिक्त पंसस के सीट पर मई से जून माह तक में संपन्न मध्यावधि चुनाव में पूनम देवी पंचायत समिति सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई थी. वर्ष 2021 मे हुए पंचायत चुनाव के बाद शुरुआती दौर में भी इसकी सास शमरी देवी प्रखंड प्रमुख के पद पर दावेदारी कर रही थी. जिसमें वह एक वोट को लेकर पीछे रह गयी थी. इस तरह प्रखंड प्रमुख बनकर पूनम कुमारी ने अपनी सास के सपनों को भी साकार करने में सफल रही. प्रमुख एवं उप प्रमुख के निकलते ही फूल माला पहनकर समर्थकों ने हर्ष व्यक्त किया. समर्थकों में काफी खुशी और उत्साह का माहौल व्याप्त था. भाजपा के युवा तुर्क नेता अरविंद कुमार के साथ अन्य समर्थक एक दूसरे को बधाई देते देखे गये. प्रमुख चुनाव को लेकर एक से बढ़कर राजनीति की चाल चली गयी. वर्ष 2021 के चुनाव में लीला देवी को हराने में प्रमुख प्रतिनिधि योगेंद्र तांती सफल हो जाते, लेकिन बड़ी ही चालाकी से प्रमुख के पुत्र सह जदयू नेता राकेश कुमार गुड्डू एक वोट से हराने में सफल रहे, लेकिन अधिकांश पंचायत समिति सदस्य प्रमुख प्रतिनिधि से नाराज होने के कारण आखिरकार प्रमुख लीला देवी को हार का मुंह देखना पड़ा.
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