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मुहर्रम की नौवीं तारीख को विभिन्न अखाड़ों से निकला जुलूस

मुहर्रम की नौवीं तारीख यानि मंगलवार को विभिन्न अखाड़ा द्वारा इमामबाड़ा में फातिहा खानी और नियाज कराने के लिए शहर में अखाड़ा जुलूस निकला गया.

सूर्यगढ़ा. मुहर्रम की नौवीं तारीख यानि मंगलवार को विभिन्न अखाड़ा द्वारा इमामबाड़ा में फातिहा खानी और नियाज कराने के लिए शहर में अखाड़ा जुलूस निकला गया. ‘या हुसैन’ ‘अल्लाह हूं अकबर’ के सदा से इलाका गूंजने लगा. इस दौरान अखाड़ा जुलूस में शामिल लोगों ने तिरंगे फहराये. अखाड़ा जुलूस में शामिल युवाओं की टोली पारंपरिक हथियारों से लैस होकर तलवारबाजी, लाठी, फरसा व सिपल आदि से करतब दिखा रही थी. इस दौरान जुलूस में शामिल लोग द्वारा लहराया जा रहा राष्ट्रीय ध्वज, इनके देशप्रेम को दर्शा रहा था. चकमसकन मंठटोला अखाड़ा से अखाड़ा खलीफा मो. आसिफ हुसैन की देखरेख में अखाड़ा जुलूस निकाला गया. जबकि पुरानी बाजार सूर्यगढ़ा से खलीफा मो. आलम की देखरेख में तथा कटेहर से खलीफा मो आबिद हुसैन नेतृत्व में अखाड़ा जुलूस निकला. पूर्वाह्न करीब 11 बजे सूर्यगढ़ा पुरानी बाजार अखाड़ा, चकमसकन मंठटोला अखारा कटेहर अखाड़ा से निकाले गये जुलूस के द्वारा सूर्यगढ़ा बाजार शहीद स्मृति चौक के समीप सिपल का मिलन करवाया गया. विभिन्न अखाड़ा जुलूस के साथ पुलिस के जवान चौकस नजर आये. सूर्यगढ़ा बाजार शहीद स्मृति चौक के समीप पुलिस इंस्पेक्टर भगवान राम खुद पुलिस बल के साथ व्यवस्था की कमान संभाल रहे थे.

अखाड़ा जुलूस के दौरान दो घंटे तक जाम की बनी रही स्थिति

मंगलवार कि सुबह 9 से 11 बजे तक अखाड़ा जुलूस के दौरान सूर्यगढ़ा बाजार में रह-रह कर जाम लगता रहा. हालांकि पुलिस की तत्परता से थोड़ी-थोड़ी देर में वाहनों को निकाला जा रहा था. इसके लिए बाजार की मुख्य सड़क के अलावे वैकल्पिक मार्गों का भी उपयोग किया जा रहा था.

मुहर्रम की दसवीं तारीख कई मायनों में है अहम

चकमसकन मंठटोला के अखाड़ा से जुड़े मो. रिजवान, मौलानगर कोलीपांकड़ के मो कमरुद्दीन आदि ने बताया कि मुहर्रम की दसवीं तारीख हजरत हुसैन और उनकी साथियों की शहादत को याद दिलाता है. इस्लाम, सच्चाई व हक की खातिर हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 लोगों के साथ कुर्बानी दी थी. मुहर्रम की दसवीं तारीख कई मायने में इस्लाम धर्म में महत्वपूर्ण है. मुहर्रम की दसवीं तारीख को ही हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के आंखों की रोशनी लौटी थी. हजरत यूसुफ अलैह को इसी दिन कुएं से निकाला गया था. फिरऔन की जुल्म से हजरत मुशा अलैहिस्सलाम की कौम को निजात इसी दिन मिली थी. इसी दिन हजरत ईसा अलैहिस्सलाम पैदा हुए थे. अल्लाह को यह तारीख इतना पसंद था कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत का दिन भी मुहर्रम की दसवीं तारीख को ही चुना था.

अखाड़ा जुलूस के दौरान मेला सा दिखा नजारा

सूर्यगढ़ा. मुहर्रम को लेकर नौवीं तिथि को क्षेत्र के विभिन्न अखाड़ा द्वारा सिपल जुलूस निकाला गया. इस दौरान सभी जगहों पर मुहर्रम धूम-धाम से मनाया गया. कई समितियों द्वारा सिपल का मिलान किया गया. जगह-जगह अखाड़े में समिति के लोग लाठी, डंडा, तलवार आदि पारंपरिक हथियारों से लैस होकर अपने कला का प्रदर्शन किया. वहीं काफी संख्या में महिलाएं और बच्चे अखाड़े के पास लगे मेला में खरीदारी करते नजर आय. दूसरी तरफ सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सभी अखाड़ों और चौक-चौराहों के पास मजिस्ट्रेट और पुलिस बल के जवान तैनात थे.

या हसन-या हुसैन से गूंजा इलाका

सूर्यगढ़ा. इमाम हसन-हुसैन की याद में प्रखंड मुख्यालयों और ग्रामीण इलाकों में मुहर्रम का अखाड़ा निकाला गया. विभिन्न मुहल्लों और इमामबाड़ों से अखाड़ा व सिपल निकाला गया. अखाड़ियों ने पारंपरिक युद्ध कला भी दिखाया. या हसन या हुसैन से आसमान गूंज उठा. ग्रामीण इलाकों में सिपल के साथ निकाला गया अखाड़ा जुलूस को गांव का भ्रमण कर अखाड़े में युवकों ने जमकर लाठियां भांजी और अपनी कला का हैरतअंगेज प्रदर्शन किया.

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