लखीसराय. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में परेशानी जिला प्रशासन के बचाव व राहत कार्य एवं आगे की योजनाओं की जानकारी देते हुए प्रेस वार्ता में डीएम मिथिलेश मिश्र ने कहा कि गंगा से जुड़े किऊल और हरूहर नदी के भी तेज बहाव में कमी आयी है. जिले के 24 पंचायत के लगभग डेढ़ लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. जिसमें घर मकान के साथ साथ फसल क्षति भी शामिल है. वर्तमान में भी लगभग सौ सामुदायिक किचन का संचालन जारी है. 11 सौ लोग जिले के तीन आश्रय स्थल में अभी भी शरण लिए हुए हैं. पशु चारा प्रबंधन की चुनौती बनी रहेगी, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में आर्डर दिया गया है. विकास को गति देने को लेकर आवागमन की सुविधा के लिए क्षतिग्रस्त सड़कों का आकलन किया जायेगा. जलस्तर में कमी होने पर जलजमाव एवं गंदगी से महामारी पर अंकुश लगाना बहुत बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए रखरखाव पर विशेष ध्यान देना होगा. जिले के बड़हिया प्रखंड मुख्यालय में संचालित नवोदय आवासीय विद्यालय को अगले छह दिनों के लिए कक्षा संचालन व्यवस्था बंद कर दिया गया है. बच्चों को घर भेज दिया गया है.
बाढ़ के साथ-साथ जल जनित रोग से बचाव पर डीएम ने की बैठक
लखीसराय. जिला समाहरणालय परिसर में स्थित मंत्रणा कक्ष के सभागार में मंगलवार को डीएम मिथिलेश मिश्र की अध्यक्षता में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सभी विभाग से समन्वय बनाकर विकास को लेकर बैठक की गयी. जिसमें संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की भी सलाह ली गयी. मुख्य रूप से बाढ़ प्रभावित पंचायत क्षेत्र के मुखिया और सरपंच या उनके प्रतिनिधि या पूर्व जनप्रतिनिधि की भी सहभागिता देखी गयी. जबकि संबंधित प्रखंड के प्रमुख, उप प्रमुख, नगर परिषद के अध्यक्ष आदि भी उपस्थित थे. सर्वप्रथम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्य के संबंध में शिकायत और सुझाव देते रहने का अनुरोध किया गया. इस दौरान इससे संबंधित फॉर्मेट भी लोगों को उपलब्ध कराकर उनसे जानकारी ली गयी. इसके उपरांत मुख्य रूप से बाढ़ का पानी घटने के उपरांत पशु चारा की व्यवस्था, शुद्ध पेयजल, पर्याप्त मात्रा में शौचालय की व्यवस्था एवं नियमित स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था पर चर्चा की गयी. इसके साथ-साथ इन दिनों चल रहे स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम को लेकर भी चर्चा की गयी.बाढ़ के पानी में डूबने से स्वच्छता कर्मी की मौत
बड़हिया. प्रखंड के प्रतापपुर गांव में मंगलवार को बाढ़ के पानी में डूबने से एक युवक की मौत हो गयी. मृतक की पहचान डुमरी पंचायत के ही प्रतापपुर वार्ड संख्या सात निवासी स्व महेश महतो के पुत्र सह स्वच्छता कर्मी सुनील महतो (39 वर्ष) के रूप में की गयी. प्राप्त जानकारी अनुसार युवक अपने पशुओं का चारा लाने घर से निकला था. वापस आने के क्रम युवक का गहरे पानी में पैर फिसल जाने डूबने गया. थानाध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह और सीओ राकेश आनंद ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला के सदर अस्पताल भेज दिया गया है.गंगा नदी के जलस्तर में गिरावट के बावजूद संकट बरकरार
बड़हिया. गंगा नदी के जलस्तर में पिछले तीन दिनों से कमी आ रही है. इसके बावजूद प्रखंड के लाखों लोगों का संकट अब भी बरकरार है. बड़हिया में गंगा एक सप्ताह से लगातार कहर बरपा रही गंगा अब शांत हो चली है. बड़हिया नगर में गंगा का जलस्तर तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है. मंगलवार को गंगा के जलस्तर में एक फीट से अधिक व हरूहर नदी का जलस्तर सामान्य दर्ज किया गया. इसके साथ ही अब अनुमान किया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों से भी गंगा का पानी अब निकलना शुरू हो जायेगा. अभी भी निचले इलाकों में बसे लोगों का घर एवं आसपास पानी भरा हुआ है. वहीं प्रखंड के टाल क्षेत्र के पाली, फदरपुर कोठवा महरामचक, सरौरा आदि गांव जाने वाली बड़हिया गंगासराय, डुमरी रेलवे पुल के नीचे अब भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है. जिसमें अब भी टाल क्षेत्र के लोगों का आवागमन शुरू नहीं हो सका है.
बाढ़ पीड़ितों को राशन व पशु चारा उपलब्ध कराने की मांग
लखीसराय. शहर के पुरानी बाजार स्थित चितरंजन आश्रम जिला कांग्रेस कार्यालय में मंगलवार को एक प्रेस वार्ता कर कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बाढ़ की विभीषिका से बड़हिया, लखीसराय और पिपरिया प्रखंड के 30 से 35 प्रतिशत आबादी पशु खुले आसमान चिलचिलाती धुप में शरण लेने के लिए मजबूर हैं. वहां भोजन, दवा और पशु चारा नहीं होने के कारण बाढ़ पीड़ित और जानवर बिलबिला रहें हैं और बिहार सरकार और जिला प्रशासन दूर से मुकदर्शक बनकर देख रही है. उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि आपदा पीड़ित परिवार को सूखा राशन, दवा एवं जानवरों का चारा उपलब्ध कराया जाय. वहीं बाढ़ पीड़ित किसानों को फसल छति के मुआवजे की घोषणा की भी मांग की.किऊल नदी में लगातार घट रहा पानी, टला बाढ़ का खतरा
मेदनीचौकी. किऊल नदी में बाढ़ का पानी टूट कर लगातार मंगलवार को भी डेढ़ फीट घटा है. जिससे नदी किनारे बसे आबादी के लोगों के जहन से बाढ़ का खतरा टल रहा है. बाढ़ प्रभावित दर्जनों लोगों ने बताया कि तत्काल बाढ़ के पानी घटने से भयंकर तबाही का जो आलम लोगों के दिमाग में बन गया था, उसमें विराम लग गया है. दियारा में किसानों को बाढ़ से सब तरह से नुकसान उठाना पड़ा है. किसानों का फसल डूब गया. पशुपालक का पशुचारा डूब कर नष्ट हो गया.
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