जीवन को सार्थक बनाती है श्रीमद् भागवत कथा: देवी श्री दीदी
जीवन को सार्थक बनाती है श्रीमद् भागवत कथा: देवी श्री दीदी
बड़हिया. श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मनुष्य जीवन को सार्थक बनाती है. जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है. वाल्यावस्था से लेकर मृत्यु तक वह सांसारिक गतिविधियों में ही लिप्त होकर इस अमूल्य जीवन को नश्वर बना देता है. श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है. इसलिए जहां भी भागवत होती है इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा से सशक्त हो जाता है. ये बातें प्रखंड के पाली पंचायत के पाली गांव में बुधवार से आयोजित नौ दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को वृंदावन से आयी देवी श्री दीदी के द्वारा भागवत कथा सप्ताह ज्ञान शुभारंभ करते हुए पहले दिन कही. उन्होंने उन्होंने कहा श्रीकृष्ण का जन्म मनुष्य जीवन के उद्धार के लिए हुआ है. कंस ने उनके जन्म लेने को रोकने के लिए अथक प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया. अंत में अपने पापों का घड़ा भरने पर श्रीकृष्ण के हाथों मरकर मोक्ष की प्राप्ति की. उन्होंने बताया मनुष्य जीवन सबसे उत्तम माना जाता है. इसी योनी में भगवान भी जन्म लेना चाहते हैं. जिससे वे अपने आराध्य ईश्वर की भक्ति कर सके. श्रीकृष्ण ने भागवत गीता के माध्यम से बुराई व सदाचार के बीच अंतर बताया. ईश्वर को धन दौलत व यज्ञों से कोई सरोकार नहीं है. वह तो केवल स्वच्छ मन से की गयी आराधना के अधीन होता है. जात, पात व धर्म नहीं जानते. वह तो भक्ति मात्र के प्रेम को जानते हैं. कथावाचिका देवी श्री दीदी ने प्रवचन के दौरान हर प्रकार के युगों से श्रद्धालुओं को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि समय-समय पर भगवान को भी अपने भक्त की भक्ति के आगे झुक कर सहायता के लिए आना पड़ा है. मित्रता, सदाचार, गुण, अवगुण, द्वेष सभी प्रकार के भावों को व्यक्त किया है. जब तक हम किसी चीज के महत्व को नहीं जानते तब तक उसके प्रति मन में श्रद्धा नहीं जगती. कहा कि जब तक भक्तों का मन पवित्र नहीं होगा तब तक भागवत कथा श्रवण का लाभ नहीं मिल सकता. मौके पर सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने कथा पंडाल में मौजूद होकर कथा को सुना और उसका लाभ उठाया.
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