122वीं पुण्यतिथि पर याद किये गये स्वामी विवेकानंद
प्रखंड के बड़हिया टाल क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय फदरपुर में गुरुवार को भारतीय संस्कृति के संरक्षक, युवाओं के प्रेरणास्रोत, युगपुरुष स्वामी विवेकानंद की 122वीं पुण्यतिथि पर विद्यालय परिवार द्वारा उन्हें नमन किया गया.
बड़हिया. प्रखंड के बड़हिया टाल क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय फदरपुर में गुरुवार को भारतीय संस्कृति के संरक्षक, युवाओं के प्रेरणास्रोत, युगपुरुष स्वामी विवेकानंद की 122वीं पुण्यतिथि पर विद्यालय परिवार द्वारा उन्हें नमन किया गया. विद्यालय के प्रधानाध्यापक अजय कुमार की देखरेख में आयोजित पुण्यतिथि कार्यक्रम में छात्रों के द्वारा विद्यालय में स्वामी विवेकानंद की आदमकद पेंटिंग पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया. इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए विद्यालय के संस्कृत शिक्षक पीयूष कुमार झा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति के महान धर्मोद्धारक थे. उन्होंने भारतीय संस्कृति की विजय पताका को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फहराया. 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व धर्म संसद में उन्होंने अपना अभूतपूर्व संबोधन दिया, जो कि विश्व इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ. इन्होंने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस एवं गुरुमाता शारदा देवी से प्रेरणा लेकर 1897 में कोलकाता में वेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन नामक संस्था की स्थापना की. उन्होंने कहा था ‘उठो,जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको मत’ तथा ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’. वे शारीरिक शिक्षा के बड़े समर्थक थे. इनका कहना था कि गीता पढ़ने से पहले फुटबॉल खेलों ताकि तुम शारीरिक रूप से स्वस्थ होकर सही तरीके से गीता का ज्ञान समझ सकते हो. स्वामी विवेकानंद ने मात्र 40 वर्ष के जीवनकाल में दो सौ वर्षों के बराबर काम किया. जिस कारण ये युवाओं के प्रेरणास्रोत कहलाते थे. इस अवसर पर ‘जिनके ओजस्वी शब्दों से गूंज उठा था विश्व गगन, वही प्रेरणापुंज हमारे स्वामी पूज्य विवेकानंद’ गीत का सामूहिक गान किया गया. कार्यक्रम में शिक्षक रविशंकर कुमार, प्रीति कुमारी महतो सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे.
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