Teachers Day : नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा रहे पीयूष, 20 सालों से रच रहें नए आयाम
Teachers Day: शिक्षक दिवस के अवसर पर आज हम आपको बिहार के एक ऐसे शिक्षक की कहानी बताने जा रहे हैं को बीते 20 वर्षों से लखीसराय के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में नए आयाम रच रहे हैं. ये शिक्षक हैं पीयूष कुमार मिश्रा, जानिए इनकी प्रेरक कहानी...
Teachers Day : हौसला अगर बुलंद हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी रचनात्मक कार्यों को किया जा सकता है. जिससे न सिर्फ समाज को बल्कि देश को लाभान्वित किया जा सकता है. शिक्षक मोमबत्ती की तरह जलकर छात्रों के जीवन को प्रकाशित करने का काम करते हैं. ऐसे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के आदर्शों को चरितार्थ करने का काम बड़हिया वार्ड नंबर 25 चुहरचक निवासी एवं उत्क्रमित मध्य विद्यालय फदरपुर के शिक्षक सह प्रतिभा चयन एकता मंच के संस्थापक सचिव पीयूष कुमार झा के द्वारा किया जा रहा है. जिससे जिले के छात्र-छात्राओं को काफी लाभ मिल रहा है.
20 सालों से रच रहें नए आयाम
वर्तमान में उत्क्रमित मध्य विद्यालय फदरपुर बड़हिया के संस्कृत विषय के विद्यालय अध्यापक पीयूष कुमार झा के द्वारा पिछले 20 वर्षों से लखीसराय जिले एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में अपनी शैक्षणिक व सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से नया आयाम रचने का काम किया जा रहा है. 2004 से ही स्नातक की पढ़ाई के दौरान से ही पीयूष कुमार झा के द्वारा ज्ञान लोक क्विज सेंटर, धनंजय चेतना केंद्र, प्रतिभा चयन एकता मंच आदि संस्थाओं की स्थापना कर प्रतियोगिता की ओर छात्रों को प्रेरित करने का काम किया.
अंधविश्वास कुरीतियों को भी किया दूर
जिले के नक्सल प्रभावित चानन प्रखंड के मध्य विद्यालय लाखोचक में शिक्षक सेवा के दौरान पीयूष ने न सिर्फ बच्चों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का काम किया बल्कि बाल संसद व मीना मंच के माध्यम से लाखोचक गांव से बाल विवाह एवं अंधविश्वास जैसी कुरीतियों को भी दूर करने का प्रयास किया. पीयूष के द्वारा प्रतिवर्ष विद्यालय के 50 छात्र-छात्राओं को अपने खर्चे पर एक सौ रुपये समतुल्य की पाठ्य सामग्री तथा सह पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया जाता है. ताकि बच्चे बाधारहित अपनी पढ़ाई कर सकें.
बच्चों के लिए बिहार बोर्ड की तर्ज पर मॉडल परीक्षा का करते हैं आयोजन
बीते 18 वर्षों से लखीसराय जिले उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में मैट्रिक व इंटरमीडिएट की बिहार बोर्ड की परीक्षा के तर्ज पर मॉडल परीक्षा का आयोजन कर छात्र-छात्राओं के कमजोर पहलू की ओर ध्यान आकृष्ट कराया जाता है. जो कि बिहार में अद्वितीय है. अपनी श्रेष्ठ अध्यापन शैली व गतिविधियों के कारण लखीसराय जिला प्रशासन द्वारा 2024 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर पीयूष कुमार झा को श्रेष्ठ अध्यापक के सम्मान से सम्मानित किया गया था.
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2030 तक जिले के सभी बच्चों का साक्षर करने का है लक्ष्य
अपनी कुशल प्रबंधन शैली से पीयूष ने लगातार पांच सालों से विद्यालय का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जिससे अभिभावकों और छात्रों में नवचेतना का संचार हुआ. इस संबंध में शिक्षक पीयूष बताते हैं कि उनका अगला लक्ष्य जिले के विभिन्न स्थानों पर छात्र संवाद कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को सबल व साहसी बनाना है. 2030 तक जिले में एक भी बच्चा प्राथमिक शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना है. शिक्षक पीयूष कुमार झा के बहुमुखी प्रतिभा व कुशल शिक्षण शैली से एससीईआरटी पटना में भी इनका सहयोग बिहार पाठ्यचर्या की रूपरेखा तथा अतिरिक्त कार्य पुस्तिका के निर्माण में लिया गया है. जिले के बुद्धिजीवियों व शिक्षा प्रेमियों को पीयूष के कार्यकलापों पर काफी हर्ष है.
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