लखीसराय.
मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का सरकार दावा कर रही है. अस्पतालों को दवा, चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों, उपकरणों आदि से लैस किया जा रहा है. अस्पतालों में दवा की उपलब्धता के मामले में भी लखीसराय जिले के अस्पताल बिहार में नंबर वन पर हैं. सदर अस्पताल में 347, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 238 एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में 117 तरह की दवा उपलब्ध करायी जानी है. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण फार्मासिस्ट के अभाव में सदर अस्पताल सहित जिले के विभिन्न अस्पतालों के दवा भंडार में जीवन रक्षक दवाएं असुरक्षित है. दवा की देखभाल करने के लिए दवा भंडार गृह में फॉर्मासिस्ट का रहना जरूरी है. लेकिन जिले में फॉर्मासिस्ट का अभाव है. जिले में फॉर्मासिस्ट के 46 पद स्वीकृत हैं, परंतु मात्र छह ही पदस्थापित हैं. फॉर्मासिस्ट के अभाव में सदर अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूर्यगढ़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलसी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चानन, पीएचसी पिपरिया एवं पीएचसी लखीसराय स्थित दवा भंडार में जीएनएम, एएनएम या अन्य स्वास्थ्य कर्मी ही दवा की देखभाल करते हैं. तकनीकी जानकारी के अभाव में इन लोगों द्वारा सही तरीके से दवा की देखभाल नहीं हो पाने के कारण उसके खराब होने की आशंका बनी रहती है. कहने को तो दवा भंडार गृह में दवा को उचित तापमान पर सुरक्षित रखने के लिए फ्रिज उपलब्ध है. दवा को फ्रिज में रखा भी जाता है. परंतु जानकारी के अभाव में जीएनएम द्वारा दवा को उचित तापमान पर नहीं रखा जाता है. इससे दवा की गुणवत्ता नष्ट होने की आशंका प्रबल रहती है. ऐसे में लापरवाही से गुणवत्ताहीन दवा भी मरीजों को दी जाती है. दवा भंडार में सही दवा व एक्सपायर दवा को अलग-अलग रखने की व्यवस्था भी नहीं है. इस कारण एक्सपायरी दवा का पता नहीं चल पाता है.कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा ने बताया कि फॉर्मासिस्ट के अभाव से विभाग को अवगत कराया जा चुका है. मजबूरी में जीएनएम व एएनएम से फॉर्मासिस्ट का कार्य लिया जा रहा है. विभाग द्वारा फॉर्मासिस्ट उपलब्ध कराने के बाद ही सभी अस्पताल के दवा भंडार गृह में फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगायी जा सकेगी. पूर्व में सदर अस्पताल में यह व्यवस्था लागू थी.
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