मलिया पुल के पास से धड़ल्ले से चल रहा बालू का अवैध खनन
लखीसराय-जमुई पथ को चानन प्रखंड से जोड़ने वाली मलिया पुल का अस्तित्व खतरे में नजर आ रही है
चानन. बालू के अवैध उत्खनन से चानन प्रखंड के लाइफ लाइन कहे जाने वाले तथा लखीसराय-जमुई पथ को चानन प्रखंड से जोड़ने वाली मलिया पुल का अस्तित्व खतरे में नजर आ रही है. बालू माफियाओं को पुल के आसपास से अवैध बालू निकालकर भागने में कम दूरी तय करना पड़ता है. जिससे रात के अंधेरे में बालू माफिया पुल के पास के बालू को अपना निशाना बना रहे हैं. जो बालू पर पड़े ट्रैक्टरों के पहिये के निशान से साफ प्रतीत होता है. जानकारी के मुताबिक एक तो पहले से पिलर का सुरक्षा कवच लगभग कुछ फीट नीचे धंस गया है. जिससे पुल पर खतरा बनने लगा है. बता दें कि इस पुल का निर्माण कार्य 2011 में 39 करोड़ रुपये किया गया था और 2014 उद्घाटन के बाद इसे चालू कर दिया गया था. पुल के बन जाने से सैकड़ों दो पहिया से लेकर दस पहिया तक प्रत्येक दिन दौड़ती है. मलिया पुल ने दर्जनों गांव के लोगों को प्रखंड मुख्यालय से सीधा जोड़ रखा है. अगर बालू माफिया पर लगाम नहीं लगाया गया तो किसी भी समय कुछ भी हो सकता है. जिस स्थान से अवैध बालू निकासी का कार्य किया जाता है उस स्थान से तेतरहाट थाना की दूरी मात्र 500 मीटर पर है, लेकिन उनके क्षेत्र में नहीं रहने के कारण वह कुछ नहीं कर पाते हैं. पुल से चानन थाना की दूरी लगभग पांच किलोमीटर रहने के कारण जब तक आगे की कार्रवाई की जाती है तब तक बालू माफिया वहां से भाग निकलते हैं. इस संबंध में खनन इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि नियम के अनुसार पिलर से पांच सौ फीट तक संवेदक भी बालू नहीं उठा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बालू माफिया के खिलाफ सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है. कई बार तो पहुंचने से पहले बालू माफिया भाग निकलते हैं.
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