मेदनीचौकी. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत अवगिल रामपुर मौजे में यहां के किसानों को भदई फसल में मकई की खेती की आस रहती है. जिसे लेकर यहां के किसानों ने भदई फसल में मकई की बुआई कर दी है. अगंतर बुआई वाला मकई का पौधा खेतों में निकल गया है. वहीं पिछड़ा बुआई भी किसान कर रहे हैं. अवगिल के किसान परमेश्वरी पासवान, फुलेश्वर साव, राजेंद्र तांती सहित दर्जनों किसानों के अनुसार अवगिल मौजा गहराई वाला रकवा पड़ता है. सिर्फ एक ही रबी फसल उपजता है. बरसात में यहां का रकवा डूब जाता है. आषाढ़ महीने में जब बारिश होती है, तो खेतों में नमी आने पर यहां के किसानों भदई फसल में मकई की खेती का आस रखते हैं, जिसे लेकर आषाढ़ महीने में ही अगंतर मकई की बुआई कर देते हैं. अगर मौसम हल्की बारिश का रहा तो मकई की फसल उपज जाती है. अन्यथा सावन-भादो में जोरदार बारिश हुई तो मकई की फसल डूब कर नष्ट हो जाता है. जो पशुओं के चारे का काम आता है. मौसम सूखा-रुखा रहा तो मकई के फसल के उपज की आस किसानों को रहती है. अवगिल मौजे के किसानों को टाल डछबने की समस्या से प्रत्येक साल जूझना पड़ता है. किसान कहते हैं कि उक्त मौजे के सैकड़ों एकड़ रकबों के ससमय जल निकासी का प्रबंध सरकार द्वारा नहीं हो पाया है, जिससे यहां के किसानों को एक रबी फसल से ही संतोष करना पड़ता है.
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