लखीसराय. जिले में 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन-दवा सेवन कार्यक्रम शुरू होने वाला है. इस अभियान की सफलता को लेकर पूरे जिले में कुल 590 (ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर) टीम का गठन किया गया है. इस टीम में आशा एवं आंगनबाड़ी सेविका की भागीदारी होगी, इसलिए इनका आज से दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षण शुरू हो गया है. ये बातें वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी गौतम प्रसाद ने बताया. उन्होंने कहा कि ये प्रशिक्षण पूरे जिले में छह अगस्त तक सभी स्वास्थ्य संस्थान के आशा एवं आगंनबाड़ी सेविका को दिया जायेगा. इस प्रशिक्षण का आशय ये है की डीए टीम जब लोगों को उनके घर तक दवा खिलाने जायेगी तो किस उम्र के लोगों को किस मात्रा में दवा खिलानी है एवं किसको दवा नहीं खिलानी है, ये जानकरी दी जानी है.
फाइलेरिया क्या होता है
लखीसराय सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रबंधक निशांत राज ने इस अवसर पर बताया कि फाइलेरिया को आम भाषा में हाथी पांव रोग कहा जाता है, यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दीर्घकालिक दिव्यांगता की एक बड़ी वजह फाइलेरिया है, यह एक ऐसी घातक बीमारी है जो शरीर को धीरे-धीरे खराब करती. फाइलेरिया एक परजीवी द्वारा होने वाला रोग है जो धागा के समान दिखने वाले ””फाइलेरिओडी”” नामक निमेटोड के कारण होता है, इसलिए साल में दो बार सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है. इस कार्यक्रम में सरकार के द्वारा निःशुल्क डीईसी, अल्बेंडाजोल एवं आइवरमेक्टिन डी जाती है.इन बातों का रखें ख्याल
दो साल से काम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों के अलावा यह दवा सभी को खिलानी है.यह दवा खली खाली पेट नहीं खानी है.
दवा स्वास्थ्य कर्मी को अपने सामने में खिलाना है.मरते हुए परजीवियों के प्रतिक्रिया फलस्वरूप कभी-कभी सरदर्द , शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी तथा पर चकते एवं खुजली जैसी मामूली प्रतिक्रियायें देखने को मिलती है.
इसके लिए घबरायें नहीं, आमतौर पर ये लक्षण स्वत: ही ठीक हो जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है