लखीसराय. जिले में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. जिससे लोग डरे-सहमे हुए हैं. लोग ऊंची स्थान पर पलायन को मजबूर हैं. पड़ोसी देश नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और बराज से छोड़े जा रहे पानी का असर गंगा नदी में साफ देखा जा रहा है. जिले के बड़हिया खुटहा में गंगा नदी के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी से गंगा नदी के तटवर्ती इलाके खुशहाल टोला, बिंदटोली, खुटहा, जैतपुर तिरासी टोला सहित दर्जनों गांवों के लोगों में फिर से दहशत का माहौल है. तटवर्ती इलाके के लोगों की माने तो यदि पानी बढ़ने की यही रफ्तार रही तो नीचे इलाके के लोगों को 10 से 15 दिनों के अंदर बाढ़ की समस्या झेलनी पड़ सकती है. गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी जारी है. गंगा के बढ़ोतरी की रफ्तार अगर इसी तरह रही तो जल्द ही दियारा क्षेत्र में लगे हजारों एकड़ में लगे फसल डूब कर बर्बाद हो जायेंगे. बताया जाता है कि ऐसे में बाढ़ आने पर तटवर्ती दियारा इलाके में भारी तबाही मच सकती है. इस साल भी क्षेत्र के हजारों एकड़ खेत में लगी फसल के नष्ट होने की संभावना बनी है. ज्ञात हो कि पिछले वर्ष आयी भीषण बाढ़ ने क्षेत्र के करीब दर्जनों गांवों में भीषण तबाही मचायी थी. जिसे देखते हुए दियारा इलाके के लोग अभी से अपनी सामग्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में जुट गये. गंगा व हरुहर नदी में जलस्तर में ऐसे ही बढ़ोतरी हुई तो लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी. हालांकि अभी नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु से दूर है. इस संबंध में बड़हिया सीओ राकेश आनंद ने बताया कि जलस्तर बढ़ने से जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है. बाढ़ से निपटने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. ग्रामीण रंजीत, नीरज यादव, सुबोध कुमार का कहना है कि गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण जीव-जंतु गांव तक आ जाते हैं. इससे हर पल खतरे की आशंका रहती है. ग्रामीण कहते हैं कि हर साल गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से हम लोगों की फसलें डूब जाती है. पशु चारा भी डूबकर नष्ट हो जाता है. यदि नदी का जलस्तर बढ़ेगा तो सभी लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी. वही गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि से परेशान किसान एवं पशुपालक अब नाव पर आश्रित हो गये हैं. पशुपालक एवं किसानों ने बताया कि गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है. जिससे खेतों में लगी सब्जी एवं मक्के की फसल डूबने लगा है. लोग नाव के सहारे उंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गये हैं, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब तक किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की गयी है. वे लोग निजी नाव के सहारे गंगा पार करने को मजबूर हैं.
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