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किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट में अनोखे तरीके से होती है मां दुर्गा की पूजा

किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट में जिले के सभी दुर्गा पूजा से हटकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है.

लखीसराय. किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट में जिले के सभी दुर्गा पूजा से हटकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है. प्रथम पूजा से लेकर षष्ठी पूजा तक किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट में सामान्य विधि से की जाती है, लेकिन सप्तमी पूजा में मां के भोग के लिए दिन में खिचड़ी तैयार की जाती है एवं भोग लगाया जाता है. वहीं शाम को पूरी और आलू-गोभी का भोग लगाया जाता है. इस तरह सुबह शाम सप्तमी, अष्टमी व नवमी तक मां का खिचड़ी एवं पूरी भाजा का भोग लगाया जाता है. दशमी के दिन चूड़ा, दही, केला एवं पेड़ा को मिलाकर भोग लगाया जाता है. जबकि बंगाली पद्धति से मां को अष्टमी के दिन पुष्पांजलि कार्यक्रम भी किया जाता है. जिले के सभी दुर्गा मंदिर से हटकर यहां की पूजा अर्चना होती है.

1942 से बंगाली पद्धति से गया के चक्रवर्ती पुजारी परिवार पूजा-अर्चना में होते हैं शामिल

सन 1942 से ही किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट में मां की प्रतिमा को स्थापित कर पूजा अर्चना होते आ रही है. पुराने लोगों का मानना है कि किऊल रेलवे कॉलोनी में बंगाल के अधिकांश लोग रेल अधिकारी थे. जिनके सौजन्य से किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट में मां दुर्गा की पूजा अर्चना होती आ रही है. बाद में नये पीढ़ी के द्वारा धीरे-धीरे दुर्गा पूजा को भव्य रूप दिया गया. अब किऊल दुर्गा पूजा जिले ही नहीं बल्कि जिले से बाहर भी मशहूर होते चली गयी.

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