लखीसराय. शहर के विद्यापीठ चौक स्थित आंबेडकर बस पड़ाव पर जिला परिषद के द्वारा अचानक दावा कर दिया गया है. जिला परिषद में खसरा संख्या एवं नक्शा में जिला परिषद की अंबेदकर बस पड़ाव की जमीन होने का हवाला देते हुए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को एक पत्र लिखा है. पत्र में लिखा है कि आंबेडकर बस पड़ाव जिला परिषद की जमीन पर है. हाल ही के दिन में नगर परिषद के द्वारा आंबेडकर बस पड़ाव का टेंडर निकाला गया है. जिसे रद्द किया जाय. आंबेडकर बस पड़ाव को लेकर जिला परिषद एवं नगर परिषद के आमने-सामने होने की पूरी संभावना दिख रही है. नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि आंबेडकर बस पड़ाव नगर परिषद के द्वारा वर्षों से संचालित हो रहा है. अगर जिला परिषद की यह जमीन है तो आखिर इतने दिनों तक जिला परिषद के द्वारा दावा क्यों नहीं किया गया. यह सच है कि आंबेडकर एवं लालू बस पड़ाव का टेंडर 25 वर्षों से अधिक समय तक नगर परिषद के द्वारा संचालित हो रहा है.
आंबेडकर बस पड़ाव से वर्तमान में 60 लाख से अधिक की राशि की होती है राजस्व की प्राप्ति
वर्तमान में नगर परिषद लखीसराय को आंबेडकर बस स्टैंड से 60 लाख से अधिक राजस्व की प्रति वर्ष प्राप्ति होती है. पिछले चार साल से इस बस पड़ाव के अलावे लालू बस पड़ाव का नीलामी अपिहार्य कारण से नहीं हो पायी थी, लेकिन प्रत्येक साल नीलामी की कुल राशि से 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि जोड़ दी जाती थी. इसके साथ ही संवेदक समय से राशि भी नगर परिषद को चुकता कर देता था. नगर परिषद को बस पड़ाव से एक अच्छा राशि का राजस्व की प्राप्ति हो जाती है, लेकिन अचानक आंबेडकर बस पड़ाव की जमीन पर जिला परिषद के द्वारा दावा किया जाने पर नगर परिषद के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि आश्चर्य में पड़े हैं.बोले अधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि अचानक बस पड़ाव पर की जमीन पर दावा किया जाना आश्चर्य की बात है. नगर परिषद के द्वारा कई वर्षों से बस स्टैंड की नीलामी करते आया है. जिला परिषद की पत्र के आलोक में जांच पड़ताल की जायेगी. इसके लिए नगर सभापति से भी बात की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है