संसद घुसपैठ के आरोपी ललित झा के घर किसने लगाया क्रांतिकारी योद्धा का पोस्टर? परिजनों को भी दिया मदद का भरोसा
मुंबई की संस्था राष्ट्रीय लोक आंदोलन ने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले मास्टरमाइंड ललित झा के रामपुर उदय गांव स्थित पैतृक घर पर पोस्टर लगाया है. जिसमें संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले छह आरोपियों की तस्वीर है और उस पर लिखा है कि ये क्रांतिकारी योद्धा हैं.
संसद की सुरक्षा में 13 दिसंबर को सेंध लगाने के मुख्य आरोपित ललित मोहन झा के मामले में बुधवार को नया मोड़ आ गया. जब ललित झा के पैतृक आवास रामपुर उदय गांव में उसके घर के पास करीब दो बजे एक गाड़ी आकर रुकी. उससे एक महिला सहित तीन-चार लोग उतरे. उन्होंने ललित जा के घर पर दस्तक दी. महिला ने अपने आपको राष्ट्रीय लोक आंदोलन मुंबई की कार्यकारी अध्यक्ष कल्पना ईनामदार बताया. संगठन ने ललित झा के घर पर एक बैनर भी लगाया, जिसमें संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले 6 आरोपितों की तस्वीर लगी है और उसपर लिखा है कि ये क्रांतिकारी योद्धा है. ललित के घर पर लगे बैनर के नीचे कल्पना की भी तस्वीर लगी है. कल्पना ने ललित के परिजनों को हर तरह की मदद का आश्वासन दिया और ललित का केस खुद लड़ने की बात कह उसकी मां को लेकर बेनीपुर कोर्ट पहुंच गयी. वहां इस आशय का हलफनामा बनवा लिया. जिससे ललित झा गांव और उनका परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है.
टीम ने ललित के माता-पिता से बातचीत की
कथित राष्ट्रीय लोक आंदोलन की टीम ने ललित के माता-पिता से बातचीत की. कहा कि ललित क्रांतिकारी है. जिस मुद्दे को लेकर संसद भवन में प्रवेश किया, उसका मैं समर्थन करती हूं. उसने साहस दिखाया है. वह जानता था कि वह शहीद होने वाला है. क्योंकि उन्होंने हमसे कहा था कि जब तक वह शहीद नहीं होंगे. तब तक देश नहीं जागेगा. शायद इसीलिए उन्होंने संसद पर कुच कर दिया.
उनका इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था. उनकी एक ही मंशा थी, जो लोग संसद में बैठे हैं. उन्हें जगाओ और बेरोजगारी पर संसद में बात करो. यही बताना उनका मकसद था. लेकिन सरकार इन सभी युवाओं को आतंकवादी करार देने के पीछे लगी हुई है. लेकिन उन्होंने माना कि मांग को सरकार के समक्ष रखने का यह तरीका गलत है. इसकी निंदा करती हूं.
2022 में संगठन के लोगों की ललित से हुई थी पहली मुलाकात
टीम के लोगों ने दावा किया कि ललित मोहन से उसका पुराना परिचय रहा है. ललित से उसकी पहली मुलाकात 19 जून 2022 को दिल्ली में बेरोजगारी व महंगाई के मुद्दे पर आयोजित होने वाली बैठक में हुई थी. उस समय मैंने उसे इस आंदोलन में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया था. इसी मुद्दे को लेकर पुन: 20 अप्रैल 2023 को दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया था. स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा इसकी अनुमति भी दे दी गयी थी, पर अंतिम समय में उसे निरस्त कर दिया गया.
हरसंभव मदद का दिया आश्वाशन
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उसकी सजा माफ करे. उससे बात करे. बता दें कि कुछ इसी तरह की बातें ललित के घर लगाये बैनर में भी लिखी थी. उन्होंने ललित के माता-पिता को आश्वस्त किया कि ललित को न्याय दिलाने के लिए उसका हर संभव मदद करेगी. ललित पर दर्ज सभी मुकदमे मैं लडूंगी. इसके लिए आपको लिखित देना होगा. यह कहते हुए उसने ललित की मां को अपनी गाड़ी पर बैठकर स्थानीय बेनीपुर व्यवहार न्यायालय लेकर पहुंच गयी. अपने नाम से हलफनामा बनाकर ललित पर दर्ज कराये गए सभी मुकदमे लड़ने का आश्वासन माता-पिता को दिया. इस दौरान ललित का भाई सोनू झा भी मौजूद था.
क्या बोले ललित झा के भाई
ललित झा के भाई सोनू ने बताया कि मुंबई की संस्था राष्ट्रीय लोक आंदोलन की चार सदस्यीय टीम आयी थी. हमसे बात करने के बाद उन्होंने न्याय दिलाने की बात कही और यहां पोस्टर लगाकर चले गए. उन्होंने कहा कि इस पर हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. ना ही ग्रामीण कुछ बोल रहे हैं. दिल्ली पुलिस और एटीएस की टीम भी आई. मेरे बड़े भाई और माता-पिता से पूछताछ की गई है. पूछताछ के संबंध में उसने बताया कि उसने ललित से अलग-अलग बिंदुओं पर पूछताछ की और फिर वह चली गयी.
कोलकाता में रहते हैं ललित के पिता
बता दें कि ललित के पिता देवानंद झा पिछले 40 साल से कोलकाता में किराए के मकान में रह रहे हैं. वहीं पांच साल पहले ललित अपने परिवार से अलग मकान में रहता था. लेकिन संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने से पहले वह अपने छोटे भाई सोनू के साथ अपने माता-पिता के साथ रहने लगे. देवानंद झा का बड़ा बेटा अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ अलग किराये के मकान में रहता है.
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