विधानसभा चुनाव से पहले एक्टिव हुए लालू यादव,  शहाबुद्दीन के परिवार की कराई घर वापसी 

RJD : सीवान के पूर्व आरजेडी सांसद शहाबुद्दीन की पार्टी में वापसी कराकर लालू यादव अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुटे हुए हैं.

By Prashant Tiwari | October 27, 2024 5:50 PM

बिहार में वैसे तो विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का समय बचा हुआ है. लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अभी से सक्रिय हो गए है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा उपचुनाव में भी उनकी दखल का असर साफ तौर पर दिखा है. लोकसभा चुनाव में रोहिणी आचार्य के खिलाफ सारण से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली पूर्व आरजेडी सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और उनके बेटे ओसामा शहाब की उन्होंने पार्टी में फिर से घर वापसी कराई है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि शहाबुद्दीन के परिवार की पार्टी में वापसी कराकर लालू यादव सीवान सहित उन सभी जिलों के मुस्लिम मतदाताओं को फिर से पार्टी से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने प्रशांत किशोर की जन सुराज की तरफ अपना रूख किया है.  

मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत रखने की कवायद 

सीवान के पूर्व आरजेडी सांसद शहाबुद्दीन की पार्टी में वापसी कराकर लालू यादव अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. उन्हें भी इस बात का अंदाजा है कि अगर मुसलमानों ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया तो फिर उनकी पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. आरजेडी किस कदर मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर है. इसकी भनक उसी वक्त लग गई, जब इस साल हुए लोकसभा चुनाव में लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सीवान से चुनाव लड़ा और हिना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़कर रोहिणी को लोकसभा जाने से रोक दिया और इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. 

शहाबुद्दीन के परिवार से RJD ने बना रखी थी दूरी

बता दें कि जेल में बंद पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की 2021 में मौत हो गई थी. शहाबुद्दीन के निधन के बाद से ही राजद ने परिवार से दूरी बना रखी थी. लेकिन, लालू यादव   के फिर से एक्टिव होने के बाद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब और पत्नी हिना शहाब को आरजेडी ज्वाइन कराके राजद सुप्रिमों मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करते हुए दिख रहे हैं. 

पीके की एंट्री ने बढ़ाई RJD की टेंशन

ओसामा शहाब की राजद में एंट्री ऐसे में समय हो रही है जब मुस्लिम मतों के बिखराव का सबसे अधिक खतरा दिख रहा है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की सक्रिय राजनीति में एंट्री ने राजद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. क्योंकि सूबे के मुस्लिम मतदाता कहीं न कहीं खुद के लिए एक ऐसे दल की खोज में हैं जो उनके लिए खुलकर बोल सके और प्रशांत किशोर लगातार मुसलमानों के पक्ष में बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं. किशोर ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बिहार के 243 में से 40 सीटों पर वह मुस्लिम उम्मीदवार उतारेंगे. 

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