बिहार के कई जिले इन दिनों भीषण बाढ़ का सामना कर रहे है. लोग अपने जरुरी सामान और मवेशियों के साथ सरकार द्वारा बनाए गए आश्रयों में शरण लिए हुए है. इसी बीच बाढ़ को लेकर अब राजनीति तेज हो गई है. केंद्र सरकार ने बिहार को बाढ़ से निपटने के लिए जैसे ही 665 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस पर तंज कसा है और उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सूबे में 2008 में आए बाढ़ की याद दिलाई और कहा कि उस समय रेल मंत्री रहते लालू यादव ने बिहार को 1 हजार करोड़ का आर्थिक मदद दिलवाया था. लेकिन आपने उन पैसे का इस्तेमाल अपना नाम चमकाने के लिया.
मुख्यमंत्री जी, क्या आपको 𝟐𝟎𝟎𝟖 याद है?
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर किए पोस्ट पर लिखा मुख्यमंत्री जी, 𝟐𝟎𝟎𝟖 में बिहार में आई बाढ़ को याद कीजिए. तब केंद्र में 𝐔𝐏𝐀 की सरकार थी. कांग्रेस के बाद केंद्र में दूसरी सबसे बड़ी और शक्तिशाली पार्टी राजद और उनके नेता केंद्रीय रेल मंत्री आदरणीय लालू प्रसाद जी के आग्रह पर प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह जी और यूपीए चेयरपर्सन आदरणीय श्रीमती सोनिया गांधी जी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर बिहार आए थे.
लालू जी ने सकारात्मक राजनीति का अकल्पनीय व अविस्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री जी को बाढ़ की भयावह स्थिति से अवगत करा इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कराया तथा उस दौर में यानि आज से 𝟏𝟓 साल पूर्व केंद्र से तत्काल 𝟏𝟎𝟎𝟎 करोड़ की विशेष सहायता राशि बिहार को दिलाई. हां जी केवल बाढ़ के लिए 𝟏𝟎𝟎𝟎 करोड़.
आपने 1 लाख टन अनाज मांगा लालू जी ने उससे ज्यादा दिया
𝐍𝐃𝐀 की नीतीश सरकार ने केंद्र की 𝐔𝐏𝐀 सरकार से एक लाख टन अनाज की मांग की थी लेकिन केंद्र की 𝐔𝐏𝐀 सरकार ने प्रभावित लोगों की मदद एवं राहत के लिए एक लाख 𝟐𝟓 हज़ार टन अनाज बिहार को दिया. जितना नीतीश सरकार ने मांगा उससे अधिक बिहार को दिया.
नीतीश सरकार ने उसी अनाज को बचाकर रखा और 𝟐𝟎𝟏𝟎 के चुनावों से पूर्व गरीब जनता में 𝐔𝐏𝐀 सरकार का दिया हुआ अनाज यह कह कर बांटा की नीतीश सरकार यह अनाज दे रही है तथा चुनावों में इसका फ़ायदा उठाया. केंद्र और बिहार की 𝐍𝐃𝐀 सरकारें उत्तर बिहार के लोगों की जान और माल की क़ीमत बस चंद किलों अनाज से आंकती है. बारम्बार तटबंध और बांध क्यों टूटते है इसका कारण भी सरकार को बताना होगा?
बाढ़ पीड़ितों के लालू जी ने चलवाई थी मुफ्त ट्रेन- तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने आगे लिखा कि उस वक़्त तत्कालीन रेल मंत्री लालू जी ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त रेल चलायी तथा साथ ही 𝟗𝟎 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई. उन्होंने एक लाख साड़ी-धोती बंटवाई. कोसी क्षेत्र में रेलवे प्लेटफ़ार्म पर रेल के डिब्बों में बाढ़ राहत शिविर लगवाए. लालू जी ने अपने एक महीने की सैलरी, 𝐊𝐁𝐂 में जीते हुए 𝟏 करोड़ रुपए, रेल मंत्रालय के सभी कर्मचारियों का एक दिन की सैलरी, 𝐈𝐑𝐂𝐓𝐂, रेलवे ईस्ट जोन, वेस्ट जोन इत्यादि से भी सहायता राशि बिहार को दी.
पीने के पानी का टैंकर भेजा
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीने के पानी की कमी को देखते हुए लालू जी 𝟐𝟎 हज़ार लीटर की क्षमता वाले 𝟐𝟓 रेलवे टैंकर वहां भेजने के साथ साथ रेलवे की ओर से रेलनीर के पानी की एक लाख बोतलें तुरंत बिहार भेजी थी. उस दौर में लालू जी के प्रयासों से सब सहायता 𝐔𝐏𝐀 सरकार ने की थी लेकिन उसका प्रचार-प्रसार नीतीश कुमार ने अपने नाम से किया. 𝟐𝟎𝟎𝟒 से 𝟐𝟎𝟎𝟗 तक लालू जी में बिहार को 𝟏 लाख 𝟒𝟒 हज़ार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था लेकिन उससे चेहरा मा॰ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकाया.
नीतीश कुमार जी प्रधानमंत्री से मिलने में हिचकते क्यों है?
उस वक़्त 𝐔𝐏𝐀 के बिहार से 𝟐𝟗 सांसद थे जबकि अब 𝐍𝐃𝐀 के 𝟑𝟎 सांसद है। 𝐍𝐃𝐀 के 𝟑𝟎 सांसद, बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र में बिहार से 𝐍𝐃𝐀 के 𝟕 केंद्रीय मंत्री कितने बेबस, लाचार और असहाय है कि इनके सहारे चल रही केंद्र सरकार से बिहार की विनाशकारी बाढ़ को ना आपदा घोषित करा सकते है और ना ही विशेष सहायता राशि की मांग सकते है. आज बीजेपी के किसी भी केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री को बिहार नज़र नहीं आ रहा है? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित कराने एवं सहायता राशि की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से क्यों नहीं मिलते जबकी बिहार के लाखों लोग एवं आधे से अधिक जिले बाढ़ से प्रभावित है? नीतीश कुमार जी प्रधानमंत्री से मिलने में हिचकते क्यों है?