लालू यादव जाति गणना में बाधा से भड़के, कहा- केंद्र घड़ियाल गिनता है, लेकिन गरीबों को नहीं

लालू यादव ने कहा की केंद्र सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है, लेकिन देश के बहुसंख्यक गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की नहीं? अपने ऑफिशियिल ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि आरएसएस बीजेपी देश के ओबीसी को जानवरों से भी बदतर मानती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2023 10:27 PM
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बिहार में जाति गणना पर पटना हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाने के बाद से सियासी घमासान मचा हुआ है. अब एक बार फिर से राजद सुप्रीमो लालू यादव ने जाति गणना के मुद्दे पर भाजपा को घेरा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा की केंद्र सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है, लेकिन देश के बहुसंख्यक गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की नहीं? अपने ऑफिशियिल ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि आरएसएस बीजेपी देश के ओबीसी को जानवरों से भी बदतर मानती है. इसलिए इन्हें जातीय गणना और जातीय सर्वे से दिक्कत है. उन्होंने सवाल पूछते हुए लिखा है कि भाजपा को पिछड़ों से इतनी नफरत और दुश्मनी क्यों हैं.

सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है, पर गरीबों की नहीं

लालू यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर न्यूज की एक कटिंग की फोटो अपलोड की है. इस कटिंग में बताया गया है कि देश में सबसे ज्यादा घड़ियाल चम्बल नदी मैं है, वहीं इस मामले में बिहार कि गंडक नदी दूसरे नंबर पर है. इसी कटिंग का हवाला देते हुए लालू यादव ने लिखा की सरकार घड़ियाल की गिनती कर लेती है लेकिन देश के बहुसंख्यक गरीबों, वंचितों, उपेक्षितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की गिनती नहीं कर पाती.

जाति गणना पर सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई

वहीं दूसरी तरफ आज सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार द्वारा जाति गणना को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई टल गई. इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश संजय करोल की पीठ को करनी थी. लेकिन करोल ने खुद इससे अलग करते हुए कहा कि वे पटना हाईकोर्ट में इस मामले से जुड़े रहे हैं. ऐसे में इस मामले की सुनवाई करना सही नहीं होगा.

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हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने का दिया था फैसला

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पटना हाइकोर्ट ने इसी महीने चार मई को अंतरिम फैसला देते हुए जाति गणना पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था. हाइकोर्ट के फैसले को बिहार सरकार ने पटना हाइकोर्ट में इंटरलोकेटी याचिका दायर की थी, जिसे हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद बिहार सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

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